चंडीगढ़: केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की 14 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में की गई बढ़ोतरी से पंजाब के किसान संघ खुश नहीं हैं. किसान संघ के नेताओं ने एमएसपी में वृद्धि पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि किसानों द्वारा वहन की जाने वाली लागत और अनुमानित महंगाई दर (6.7 प्रतिशत) को देखते हुए यह बहुत कम है. सरकार ने बुधवार को धान के एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है. इसे 2021-22 के 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 2,040 रुपये कर दिया गया है.
जबकि दलहन, तिलहन और अनाज की दरों में काफी बढ़ोतरी की गई है. वाणिज्यिक फसलों में कपास पर एमएसपी 354 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6,080 रुपये किया गया है. किसान संघ के नेताओं ने कहा कि जब ईंधन, मशीनरी, उर्वरक, कीटनाशक आदि की लागत पर विचार किया जाता है तो वृद्धि नकारात्मक होती है. भारतीय किसान संघ (बीकेयू) डंकोंडा के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि धान के लिए एमएसपी में 5.15% प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो लगभग मक्का और कपास के बराबर है. धान की वैकल्पिक फसलों के लिए एमएसपी में क्रमशः 4.91 और 6.18 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.
उन्होंने कहा कि जब हमें वैकल्पिक फसलों के तहत क्षेत्र में विविधता लाने की आवश्यकता होती है, तो ऐसी फसलों की दर धान की तुलना में बहुत अधिक होनी चाहिए. क्योंकि प्रति एकड़ इन फसलों की उपज धान की तुलना में बहुत कम होती है. महंगाई दर की तुलना में केवल ज्वार, तिल और सोयाबीन फसलों के एमएसपी में महंगाई दर के मुकाबले 0.46% से 2.16% की वृद्धि देखी जा रही है. जबकि अन्य 11 फसलें महंगाई को समायोजित करने के बाद नकारात्मक 0.30 प्रतिशत से 2.26 प्रतिशत कम कीमत दिखा रही हैं.
जगमोहन ने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी तय करने का वादा किया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रही है, जिससे देश भर में किसान कर्ज में डूब गए और आत्महत्या कर ली. बीकेयू उगराहां के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डीजल, उर्वरक और कीटनाशकों की कीमतों में वृद्धि की तुलना में एमएसपी में बढ़ोतरी नगण्य है. उन्होंने कहा कि एमएसपी का ऐलान करने से पहले सरकार को महंगाई दर देखनी चाहिए थी.
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