फिल्म में वही पुरानी कहानी. चैंपियन बनने की. पहले हारो, फिर सीखो, फिर जीतते जाओ और फाइनल में आ कर प्रतिद्वंद्वी को उसी की चालों से हरा दो या फिर भूले हुए गुर फिर से याद करो और जीत जाओ. हर स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म ऐसी ही होती है. आश्चर्य की बात है कि सच्ची घटनाओं से प्रेरित हो कर बनी फिल्म में भी ऐसा ही कुछ होता है. नेटफ्लिक्स पर हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई- तूलसीदास जूनियर. फिल्म के अंत में पता चलता है कि फिल्म के लेखक निर्देशक (मृदुल महेंद्र) ने निजी जीवन में हुई घटनाओं से प्रभावित हो कर फिल्म लिखी है वैसे मृदुल द्वारा निर्देशित ये दूसरी फिल्म है, पहली मिस्ड कॉल थी जो 2005 में रिलीज हुई थी और कांन्स फिल्म फेस्टिवल में भेजी गयी थी. मृदुल महेंद्र का नाम पहली फिल्म के समय मृदुल तुलसीदास ही था. तूलसीदास जूनियर परिवार के साथ फिल्म देखी जा सकती है.
राजीव कपूर कोलकाता के एक क्लब में स्नूकर का फाइनल 5 सालों से हारते आ रहे हैं क्योंकि फाइनल में 15 मिनिट के ब्रेक के दौरान उनके चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी दलीप ताहिल उन्हें शराब पिला देते हैं. राजीव ये बात भली भांति जानते हैं कि शराब उनकी कमज़ोरी है लेकिन वो फिर भी पीते हैं और कई बार क्लब से उन्हें उनकी पत्नी को लेने आना पड़ता है या बच्चों को. राजीव के दो बेटे हैं. बड़ा बेटा गोटी जो तिकडमी है और पैसा कमाना चाहता है जिसके लिए वो शर्त, जुआ, घोड़े पर दांव जैसा कुछ भी करने को तैयार रहता है. छोटा बेटा मिडी जो अपने पिता को हारते देख कर दुखी है. अपने पिता की लगातार हार का बदला लेने के लिए वो कोलकाता के एक बदनाम इलाके में स्नूकर क्लब में जा पहुंचता है जहां पूर्व नेशनल चैंपियन संजय दत्त उसे अपने ही स्टाइल से स्नूकर सिखाता है. साल भर तक कड़ी मेहनत कर के वो अपने पिता के क्लब में स्नूकर टूर्नामेंट में भाग लेता है. सेमीफइनल में अपने पिता को हराता है और फाइनल में दलीप ताहिल को. अंत भला तो सब भला.
फिल्म की कहानी सत्य घटनाओं से प्रेरित है. तूलसीदास की विडम्बना है कि दर्शक इसे फिल्म की तरह देखते हैं और भूल जाते हैं, क्योंकि याद रखने के लिए बहुत कम बातें हैं. राजीव ने शराबी पिता का किरदार निभाया है जो इस लत का इस कदर गुलाम है कि मैच के दरम्यान 15 मिनट के ब्रेक में भी शराब पी लेता है अपने प्रतिद्वंद्वी के हाथों, ये जानते हुए भी कि शराब पी कर वो धुत्त हो जाते हैं, दुर्भाग्य से ये फिल्म राजीव की अंतिम फिल्म बन गयी क्योंकि इस फिल्म की शूटिंग के बाद पिछले साल उनका दिल की धड़कन रुकने से देहांत हो गया था. तूलसीदास जूनियर की भूमिका वरुण बुद्धदेव ने की है. सबसे बढ़िया किरदार गोटी यानि बड़े भाई (चिन्मय चन्द्रांशु) के हाथ लगा है. दलीप ताहिल का काम ठीक है. फिल्म साफ़ सुथरी है,. कोई अश्लीलता नहीं है, कोई हिंसा नहीं है, कोई नाच गाना भी नहीं है. कोई संवाद भी ऐसा नहीं है जो देखने वालों को असहज कर दे. अपने पिता को शराब के नशे में धुत्त देख कर भी तूलसीदास का अपने पिता का अपमान न करना, बहुत अच्छा और सहज रहा. फिल्म परिवार के लिए बनायीं है इसलिए बच्चों के साथ देखिये.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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