आकाश मंडल के न्यायाधीश शनि महाराज कुम्भ राशि मे वक्री हो चुके है, कर्म और दुख सुख दोनों को देने वाले शनिदेव 28 अप्रैल से पहले 74 दिन के लिए कुंभ राशि मे फिर 184 दिन के लिए मकर राशि मे जायेंगे यानी अभी केवल 74 दिन के शनि ग्रह की स्थिति में बदलाव होगा, उसके बाद 184 दिनों तक शनिदेव वैसे ही रहेंगे जैसे अभी वर्तमान में है,शनिदेव का प्रभाव वैसा ही रहेगा.
4 जून से 12 जुलाई तक कुम्भ मे रहेंगे वक्री
शनि देव 4 जून से वक्री हो चुके है तथा 12 जुलाई तक कुम्भ राशि मे वक्री रहेंगे,इसके बाद वक्री अवस्था मे ये मकर राशि मे प्रवेश करेंगे, इसके बाद 23 अक्टूबर को मकर राशि मे मार्गी होंगे.
*कोरोना फिर पल्टेगा*-12 जुलाई से शनि के मकर राशि मे प्रवेश करते ही कोरोना फिर विश्व व्यापी तूफान मचाएगा, लेकिन चूंकि गुरु की दृष्टि मे भी कर्क राशि मे है इसलिए इतना ज्यादा नुकसान नही होगा,फिर भी सावधानी अत्यंत आवश्यक है.
*शनिदेव की प्रिय राशि है कुंभ*-ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. शनि की महादशा 19 सालों तक चलती है. जब कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में होता है तो जातक को उच्च पद, सम्मान और धन प्राप्त होता है,ज्योतिष शास्त्र में सभी 9 ग्रहों का विशेष महत्व है. शनि ग्रह की चाल सबसे धीमी होती है. ये किसी एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ढाई साल का समय लगाते हैं. ऐसे में शनि किसी एक राशि में गोचर के बाद करीब 30 वर्ष बाद ही दोबारा आते हैं. ज्योतिष के मुताबिक, शनिदेव करीब 30 साल बाद फिर से कुंभ राशि में आ रहे हैं. 28 अप्रैल को शनि देव मकर राशि की अपनी यात्रा को 30 साल के लिए विराम देंगे. शनि के इस राशि परिवर्तन से कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू हो जाएगी. जबकि कुछ राशियों से शनि की दशा खत्म हो जाएगी. आइए जानते हैं किस राशि पर कैसा रहेगा शनि का प्रकोप.
इन 2 राशियों पर रहेगी शनि की ढैय्या
शनि के कुंभ राशि में गोचर से 2 राशियों पर शनि की ढैय्या शुरू होने वाली है. दरअसल कर्क और वृश्चिक राशि राशि पर ढैय्या शुरू हो जाएगी. इस वक्त तुला और मिथुन राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है. ज्योतिषियों के मुताबिक तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं, जबकि मेष राशि में नीच के माने जाते हैं. साथ ही शनि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है. शनि की महादशा 19 वर्षों तक चलती है. कुंडली में जब शनि शुभ और मजबूत स्थिति में होता है तो व्यक्ति को उच्च पद, सम्मान और पैसा प्राप्त होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव विगत 2 साल से अधिक समय से मकर राशि में मौजूद हैं. ऐसे में धनु, मकर और कुंभ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है. आगामी 28 अप्रैल को जैसे ही शनि देव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी, जबकि धनु राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी. इसके अलावा मकर राशि पर शनि का अंतिम चरण और कुंभ राशि पर दूसरा चरण शुरू हो जाएगा.
12 जुलाई से पुनः 184 दिन के लिए मकर राशि मे आएंगे शनिदेव
28 अप्रैल से शनिदेव कुंभ राशि में अवश्य आएंगे लेकिन 5 जून को वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा 23 अक्टूबर वक्री स्थिति में मकर राशि स्थिति मे रहेंगे, 23 अक्टूबर को मार्गी होकर शनिदेव 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, फिर ये कुंभ राशि में ही रहेंगे.
12 जुलाई 22 से 17 जनवरी 23 तक मकर मे रहेंगे
इस समयावधि में शनि अभी की स्थिति मे आ जायेंगे,मकर राशि मे शनि के वापस आने से मिथुन और तुला राशि वालों को फिरसे ढैया व अढ़ाईया लग जायेगा वही कर्क राशि और वृश्चिक वाले इससे मुक्त हो जायेंगे, मीन राशि साढ़े साती के पहले ढैय्या के प्रभाव से मुक्त हो जायेगी, मकर राशि वाले मध्य काल के प्रभाव मे आ जाएंगे, वही कुंभ राशि वाले मध्य काल से प्रथम ढैय्या में रहेंगे और धनु राशि वाले साढ़ेसाती के आखरी ढैया के प्रभाव मे रहेंगे.
*विशेष ध्यान दे*- सभी लोग उपरोक्त बातों को विशेष ध्यान दे, 28 अप्रैल को जो शनिदेव परिवर्तन कर रहे है वो केवल 74 दिन के लिए है जो भी समाज, मकान, वाहन से जुड़े कार्य व्यापार से जुड़े कार्य हो वे इन्ही 74 दिन मे पूरे करे,बाद मे यही स्थिति रहेगी जो अभी है.
*पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु
जन्म कुंडली वास्तु, रत्न सलाह,औरा रीडर
9893280184,9893218948
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से जून 2022 का मासिक राशिफल
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