उर्दू के सम्मानित आलोचक, लेखक और भाषाविद प्रोफेसर गोपी चंद नारंग का निधन हो गया. 91 वर्षीय नारंग ने अमरीका में अंतिम सांस ली. वहां वे अपने पुत्र के साथ रह रहे थे. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है. श्री नारंग का जन्म डुक्की में हुआ था. डुक्की अब पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है. प्रोफेसर नारंग को पदम भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में भाषा, साहित्य, काव्य और सांस्कृति अध्ययन पर 65 से अधिक पुस्तकें लिखीं.
गोपी चंद नारंग ने सन् 1954 में दिल्ली विश्वविद्यालय से उर्दू में परास्नातक किया. 1958 में उन्होंने पीएचडी पूरी की और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में ही उर्दू साहित्य पढ़ाने लगे. इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से जुड़ गए. उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में भी अध्यापन किया. 1986 में वे फिर से दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ जुड़े और 1995 तक अध्यापन कार्य से जुड़े रहे. साल 2005 में दिल्ली विश्वविद्यालय ने उन्हें प्रोफेसर एमरिटस बनाया. गोपी चंद नारंग साल ने विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर विस्कॉनसिन यूनिवर्सिटी, मिनेसोटा यूनिवर्सिटी और ओस्लो यूनिवर्सिटी में भी वह पढ़ा चुके हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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