मुंबई. महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव से पहले शिवसेना ने महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने एमएलसी चुनाव के लिए सतर्क रहने का फैसला किया है. महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का नेतृत्व करने वाली पार्टी ने अपने विधायकों को शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के लिए शुक्रवार को बुलाया था. बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, शिवसेना नेता अनिल देसाई ने कहा कि पार्टी के सभी विधायकों को राज्य विधानमंडल के उच्च सदन में 20 जून को होने वाले चुनाव और मतदान प्रक्रिया के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में सामान्य निर्देश दिए गए. देसाई ने कहा, ‘सभी निर्दलीय विधायक और छोटे दल महा विकास अघाड़ी का समग्र रूप से समर्थन कर रहे हैं.’ बैठक को शिवसेना सांसद विनायक राउत और अनिल देसाई, एमवीए सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे और अनिल परब, और पार्टी नेता सुनील प्रभु ने संबोधित किया.
बैठक में शामिल पार्टी के एक विधायक ने कहा, ‘हमें पार्टी के शीर्ष नेताओं ने संबोधित किया और इस चुनाव में साथ रहने को कहा.’ एक अन्य पार्टी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘सभी विधायक होटल रेनेसां में रुकेंगे.’ महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में भी मुकाबला राज्यसभा चुनाव की तरह ही करीबी होने की उम्मीद है, क्योंकि 10 खाली सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. शिवसेना ने 2019 में पार्टी में शामिल हुए पूर्व राकांपा नेता सचिन अहीर और आदिवासी नेता अमाशा पाडवी को अपना उम्मीदवार नामित किया है.
भाजपा ने पांच उम्मीदवार प्रवीण दरेकर, प्रसाद लड़, पूर्व मंत्री राम शिंदे, श्रीकांत भारतीय और उमा खापरे को नामित किया है. एमवीए के दूसरे सबसे बड़े घटक दल एनसीपी ने परिषद के अध्यक्ष रामराजे नाइक निंबालकर और पूर्व भाजपा नेता एकनाथ खडसे को अपना उम्मीदवार नामित किया है, जो 2020 में शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए थे. चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल 288 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य हैं. शिवसेना विधायक रमेश लटके की मृत्यु के कारण निचले सदन की ताकत 1 से कम हो गई है, जबकि एनसीपी विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख, जो अलग-अलग मामलों में जेल में हैं, को बॉम्बे हाईकोर्ट ने वोट देने की अनुमति नहीं दी है. बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) विधायक क्षितिज ठाकुर बीमार रिश्तेदार से मिलने अमेरिका गए हैं. इस तरह 288 विधायकों का निर्वाचक मंडल, 285 का रह जाता है. छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास 25 विधायक हैं. पहली वरीयता के वोटों का कोटा 26 है और मतदान गुप्त होगा. विपक्षी भाजपा के पास 106 विधायक, शिवसेना के 55, राकांपा के 52 और कांग्रेस के 44 (तीनों एमवीए के सहयोगी हैं) विधायक हैं.
भाजपा ने खड़ा किया है एक अतिरिक्त उम्मीदवार- राज्यसभा चुनावों में एमवीए को मिले झटके के बाद सभी दल सावधानी बरत रहे हैं, जहां सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त संख्या होने के बावजूद भाजपा तीसरी सीट निकालने में सफल रही. शिवसेना और राकांपा अपने सभी उम्मीदवारों (दो-दो) की जीत सुनिश्चित कर सकती हैं. लेकिन भाजपा अपने दम पर केवल 4 सीटें जीत सकती है, उसे अपने पांचवें उम्मीदवार की जीत के लिए निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी. कांग्रेस अपनी एक सीट जीत सकती है, लेकिन उसे अपने दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपने सहयोगियों के समर्थन की आवश्यकता होगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
Leave a Reply