जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे मजदूर संघ (डबलूसीआरएमएस) की वर्तमान कार्यकारिणी के अपनी मनमर्जी से रेल कर्मचारियों से चंदे के रूप में वसूली जाने वाली राशि के खर्च करने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश श्री विशाल धगट ने आदेश दिया है कि मजदूर संघ की वर्तमान कार्यकारिणी को खर्च के लिए राशि निकालने के लिए औद्योगिक न्यायालय में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् औद्योगिक न्यायालय के आदेशानुसार ही राशि निकाली जायेगी.
जैसा कि ज्ञात होगा कि सविता त्रिपाठी एवं अन्य के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रजिस्ट्रार पंजीयन भोपाल द्वारा पंजीयक की गई सूची दिनांक 22.10.2021 को इस आधार पर चुनौती दी थी कि ट्रेड यूनियन अधिनियम की धारा 28 (जे) के तहत विवाद की स्थिति में संघ से सूची प्राप्त कर रजिस्ट्रार पंजीयक औद्योगिक प्राधिकरण के समक्ष प्रेषित करेगा, परन्तु रजिस्ट्रार पंजीयक भोपाल द्वारा अशोक शर्मा द्वारा प्रस्तुत सूची को मान्य कर दिया और याचिकाकर्ता द्वारा आपत्ति करने के बावजूद एवं याचिकाकर्ता की सूची पर कोई आदेश पारित नहीं किया. उक्त सूची पत्र दिनांक 01.10.2021 के तहत् की गई कार्यवाही में दिनांक 07.10.2021 को अध्यक्ष को हटाया गया था. उक्त पत्र सही है या गलत है यह साक्ष्य का विषय है और दोनों पक्षों की साक्ष्य उपरांत ही साबित किया जा सकता है.
इस पर माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 16.06.2022 को याचिका स्वीकार कर रजिस्ट्रार पंजीयक को विवाद को संदर्भित करने का निर्देश दिया. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि अशोक शर्मा एवं अन्य के विरूद्ध गंभीर आपराधिक न्यास भंग का आरोप है और इनके विरूद्ध एफआईआर भी दर्ज है, ऐसी स्थिति में संघ के बैंक खातों से राशि निकालने में रोक लगाई है और यह भी आदेश दिया है कि राशि निकालने के लिए औद्योगिक न्यायालय में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् औद्योगिक न्यायालय के आदेशानुसार ही राशि निकाली जायेगी. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री नमन नागरथ एवं हस्तक्षेपकर्ता की ओर से श्री मकबूल खान एडवोकेट ने उपस्थित होकर अपने तर्क प्रस्तुत किए.
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