GST कम्पन्सेशन सेस की अवधि में सरकार ने किया विस्तार, इस फैसले का यह होगा असर

GST कम्पन्सेशन सेस की अवधि में सरकार ने किया विस्तार, इस फैसले का यह होगा असर

प्रेषित समय :17:53:41 PM / Sat, Jun 25th, 2022

नई दिल्ली. जीएसटी काउंसिल की मीटिंग से पहले ही सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने जीएसटी मुआवजा उपकर की समय सीमा को चार साल और बढ़ा दिया है. अब यह उपकर 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगा. वित्त मंत्रालय ने 25 जून को एक गजट अधिसूचना के जरिये इस विस्तारित अवधि की पुष्टि की है.

बता दें कि जीएसटी उपकर लेवी 30 जून को समाप्त होनी थी. लेकिन अब पिछले दो वर्षों में राजस्व संग्रह में आई कमी को देखते हुए तथा पिछले दो वित्तीय वर्षों में राज्यों को दिए गए मुआवजे के उधार और बकाया के भुगतान के लिए इसे दो साल और जारी रखने का फैसला लिया है.

पिछले साल हुई जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक के बाद सीतारमण ने कहा था कि राज्यों को उनके करों जैसे वैट को समान राष्ट्रीय कर जीएसटी में शामिल करने के परिणामस्वरूप राजस्व की कमी के लिए मुआवजे का भुगतान करने की व्यवस्था जून 2022 में समाप्त हो जाएगी. लेकिन अब नए नोटिफिकेशन के बाद लग्जरी और डी-मेरिट गुड्स पर लगाया जाने वाला मुआवजा उपकर अब 2026 तक एकत्रित किया जाता रहेगा. कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी कम्पन्सेशन सेस लगाये जाने को पहले ही मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया था.

पांच साल देना था मुआवजा

जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. इसे लागू करते वक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि जीएसटी लागू होने से उन्हें राजस्व का जो नुकसान होगा, पांच साल तक केंद्र सरकार उसकी भरपाई करेगी. तब माना गया था कि राज्यों का रेवेन्यू 14 फीसदी के चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है, लेकिन इसी अनुपात में सेस में बढ़ोतरी नहीं हुई. कोरोना महामारी ने भी राजस्व को घटाया. केंद्र ने राज्यों को 31 मार्च 2022 तक जीएसटी का पूरा मुआवजा चुका दिया है.

इन पर जारी रहेगा सेस

इन दो वित्त वर्षों के दौरान राज्यों ने जो लोन लिया था, उसे चुकता करना है. इसके लिए वह तंबाकू, सिगरेट, हुक्का, एयरेटेड वॉटर, हाई-एंड मोटरसाइकिल, एयरक्राफ्ट, याट और मोटर व्हीकल्स पर सेस लगाना जारी रखेंगे. यानी इनके लिए अब भी उपभोक्ता को अधिक कीमत चुकानी होगी. बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास स्थानीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाने की शक्ति नहीं रह गई. इससे राज्यों की आय में भारी गिरावट आई. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने मुआवजे का प्रावधान रखा और कुछ वस्तुओं पर सेस का भी प्रावधान रखा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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