गुवाहाटीः मणिपुर के नोनी जिले में प्रादेशिक सेना के टपल यार्ड रेलवे निर्माण शिविर में हुए भीषण भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 81 हो गई है। वहीं 55 लोग अब भी गायब हैं, जिनकी तलाश जारी है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने यह जानकारी दी है। मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा, ''नोनी भूस्खलन राज्य के इतिहास में सबसे खराब घटना है। हमने 81 लोगों की जान गंवाई है, जिनमें से 18 सेना के जवान थे। वहीं करीब 55 लोग फंस गए हैं। मिट्टी के कारण सभी शवों को निकालने में 2-3 दिन लगेंगे।'
समाचार एजेंसी पीटीआई ने गुवाहाटी में सैन्य प्रवक्ता के हवाले से बताया कि 38 लोग अब भी लापता है. राहत और बचाव कार्य तेज करने के लिए कई और टीमों को लगाया गया है. सेना, असम राइफल्स, टेरिटोरियल आर्मी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान लगातार मलबे में जिंदगियां ढूंढने में जुटे हुए हैं. इस बीच, मणिपुर में घटनास्थल के नजदीक एक और भूस्खलन हुआ है.
पीटीआई के मुताबिक, सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए वॉल रडार का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा खोजी कुत्तों के दस्ते को भी लगाया गया है. अब तक टेरिटोरियल आर्मी के 13 जवान और 5 नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा चुका है. टेरिटोरियल आर्मी के 18 जवानों और 6 सिविलियंस के शव अब तक बरामद हुए हैं. उन्होंने बताया कि टेरिटोरियल आर्मी के 12 जवान और 26 नागरिक अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश का काम जोरशोर से किया जा रहा है.
प्रवक्ता ने बताया कि इस हादसे में जान गंवान वाले सैन्य कर्मियों में एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) भी है. जेसीओ समेत 14 जवानों के शव वायुसेना के दो विमानों और एक आर्मी हेलिकॉप्टर द्वारा उनके घर भेजे गए हैं. एक जवान के शव को मणिपुर के कांगपोकपी जिले में सड़क के रास्ते भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि शवों को रवाना करने से पहले इंफाल में उन्हें पूरे सम्मान के साथ सैन्य विदाई दी गई. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शुक्रवार को भी घटनास्थल का दौरा किया और बचाव कार्यों की जानकारी ली. उन्होंने इसे मणिपुर के इतिहास का सबसे भयानक हादसा बताया.
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