दिसपुरः असम में एक युवक युवती को शिव-पार्वती का भेष रखकर बहस करना भारी पड़ गया. हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी. इसके बाद शिव बने युवक को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. हालांकि दोनों का दावा है कि वे कलाकार हैं और उन्होंने आम आदमी के मुद्दों की तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए ये क्रिएटिव नाटक किया था.
हुआ कुछ यूं कि असम के नागांव शहर की सड़कों पर युवक युवती शिव-पार्वती का भेष बनाकर बुलेट की सवारी कर रहे थे. अचानक उनकी बुलेट में पेट्रोल खत्म हो गया. इसे लेकर पार्वती बनी महिला नाराज हो गई. उसने बहस शुरू कर दी. शिव बने युवक ने भी जवाब दिया. दोनों के बीच ये बहस पेट्रोल से आगे बढ़कर देश में महंगाई और आम आदमी की परेशानियों तक पहुंच गई. शिव-पार्वती के रूप में इस तरह बीच बाजार बहस करते दोनों को देखकर मामला गरमा गया. खबर हिंदू संगठनों तक पहुंची. उन्होंने देवी देवताओं के अपमान का आरोप लगाया. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल आदि ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी. मामला गरमाता देख पुलिस ने शिव बने युवक को हिरासत में ले लिया.
उधर, शिव बने युवक ने बताया कि वह एक्टर है और उनका नाम ब्रिनिचा बोरा है. जो महिला पार्वती बनी थी, उनका नाम परिस्मिता दास है. उन्होंने दावा किया कि ‘रचनात्मक विरोध’ करके लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने ये नाटक किया था. ब्रिनिचा बोरा ने कहा कि बहुत से लोग अपनी समस्याओं और चिंताओं को दूर करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं. इसीलिए हम दोनों ने शिव पार्वती का रूप धरकर इस नाटक के जरिए लोगों में जागरूकता लाने की कोशिश की थी.
पार्वती का रूप धरने वाली एक्ट्रेस परिस्मिता दास ने सफाई देते हुए कहा कि आमतौर पर लोगों में जागरूकता लाने के लिए रैलियों का आयोजन किया जाता है. उन पर भारी खर्च होता है. बहुत से इंतजाम करने पड़ते हैं. फिर भी लोग उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते. ऐसे में ये क्रिएटिव तरीका आजमाया था ताकि लोग उनकी बात को समझ सकें.
हालांकि उनकी दलीलों से हिंदूवादी संगठन सहमत नहीं दिखे. इनके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों का कहना है कि दोनों ने हमारे देवी-देवता को गलत तरीके से पेश किया, जिसकी आजादी किसी को नहीं है. नौगांव में विश्व हिंदू परिषद के सचिव प्रदीप शर्मा ने कहा, “हम इस तरह की हरकत को बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम उदार हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कोई इसका फायदा उठाने लगे. नाटक में विरोध को लेकर हमें कुछ नहीं कहना लेकिन हमारे ही देवी-देवता को उसमें इस्तेमाल क्यों किया गया और नीचा दिखाया गया?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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