मलयालम साहित्य की दादी के नाम से पुकारी जाने वाली बालमणि अम्मा का डूडल बनाकर गूगल ने उनके 113वें जन्मदिन को मनाया. बालमणि अम्मा की आज, 19 जुलाई 2022 को 113वीं जयंती है. बालमणि अम्मा को मलयालम साहित्य की दादी के नाम से भी जाना जाता है. बलमनी अम्मा का जन्म आज ही के दिन 1909 में हुआ था, उनका जन्म त्रिषुर जिलें में स्थित पुन्नयुरकुलम में उनके पैतृक घर नालापत में हुआ था. बालमणि अम्मा ने औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की लेकिन फिर भी वह इतनी महान कवियित्री बनीं. बालमणि के मामा नलप्पट नारायण मेनन, जो खुद एक कवि थे उनके पास किताबों का बढ़िया कलेक्शन था, जिसने बालमणि अम्मा को एक कवि बनने में मदद की.
बलमनी अम्मा की शादी 19 वर्ष की उम्र में ही कर दी गई थी, उनकी शादी मलयालम अखबार मातृभूमि के प्रबंध निदेशक और प्रबंध संपादक V.M. Nair से हुई थी. बालमणि अम्मा के 4 बच्चे भी थे जिनके नाम सुलोचना, श्याम सुंदर, मोहनदास, और प्रसिद्ध लेखिका कमला दास थी. कमला दास को जिन्हें उनकी साहित्यक रचनाओं के कारण 1984 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इसके अलावा बेटे कमल दास ने बालामणि अम्मा की एक कविता ‘कलम’ का ट्रांसलेशन भी किया है जो एक मां के अकेलेपन को दर्शाती है.
भारतीय पौराणिक कथाओं के एक उत्साही पाठक के रूप में, अम्मा की कविता ने महिला पात्रों की पारंपरिक समझ पर प्रकाश डालने का प्रयास किया था, उनकी शुरूआती ज्यादातर कविताओं में मातृत्व पर विशेष बल दिया गया था जिसके कारण उनको आगे चलकर “मातृत्व की कवयित्री” के रूप में भी जाना जाने लगा.
2004 में हुआ निधन- 29 सितम्बर 2004 को कोच्चि में अम्मा का निधन हुआ. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया, बच्चों और पोते-पोतियों के प्रति उनके प्रेम का वर्णन करने वाली उनकी कविताओं ने उन्हें मलयामल कविता की अम्मा(माँ) और मथुस्सी(दादी) की उपाधि दी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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