नई दिल्ली. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएम खानविलकर की तीन सदस्यीय बेंच ने मामले को बड़ी बेंच को ट्रांसफर करने फैसला किया है. तीन सदस्यीय बेंच ने कहा, “हमारे हिसाब से निष्कर्ष है कि यह मामला बड़ी पीठ को भेजा जाए.” पीएमएलए के तहत हुई कार्रवाई की वैधता को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की याचिकाओं समेत कोर्ट में 242 याचिकाएं दायर थी, जिसपर कोर्ट ने कई सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं में कई धाराओं पर उठाए गए सवालों को किया खारिज किया और कई धाराओं को वैझ ठहराया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा 2018 में किए गए संशोधन को भी सही माना है. कोर्ट ने माना कि आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जुड़वां जमानत शर्तों की विस्तृत परिभाषा के संबंध में PMLA के कड़े प्रावधान सही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पीएमएलए में 2002 में कुछ संशोधन नहीं किए जा सकते थे, कोर्ट ने धन विधेयक के जरिए इसपर बड़ी बेंच द्वारा विचार करने का संकेत दिया. इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है.
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