कुंडली में पंच महापुरुष गुरु, मंगल, बुध, शुक्र और शनि होते हैं. इन 5 ग्रहों में से कोई भी मूल त्रिकोण या केंद्र में बैठे हैं तो श्रेष्ठ हैं. केंद्र को विष्णु का स्थान कहा गया है. महापुरुष योग तब सार्थक होते हैं जबकि ग्रह केंद्र में हों. विष्णु भगवान के 5 गुण होते हैं. भगवान रामचन्द्र और श्रीकृष्ण की कुंडली के केंद्र में यही पंच महापुरुष विराजमान थे. उपरोक्त 5 ग्रहों से संबंधित 5 महायोग के नाम इस तरह हैं- मंगल का रुचक योग, बुध का भद्र योग, गुरु का हंस योग, शुक्र का माल्वय योग और शनि का शश योग होता है.
1. मंगल का रुचक योग:
यह योग मंगल से संबंधित है. यदि आपकी कुंडली में मंगल लग्न से अथवा चंद्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित हों अर्थात मंगल यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मेष, वृश्चिक अथवा मकर राशि में स्थित है तो आपकी कुंडली में रूचक योग है.
रूचक योग का व्यक्ति साहसी और पराक्रमी होता है. उसमें शारीरिक बल भी भरपूर होता है और वह अपनी सेहत को बनाए रखता है. उसकी मानसिक क्षमता भी बहुत शक्तिशाली होती है और वह समयानुसार उचित तथा तीव्र निर्णय लेने की क्षमता रखता है. वह कारोबारी क्षेत्र में सफलता और प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है या किसी उच्च पद पर विराजमान होकर व्यवस्था को संभालता है. शासन और प्रशासन में ऐसे बहुत लोग होते हैं.
2. बुध का भद्र योग:
यह योग बुद्ध ग्रह से संबंधित है. यदि आपकी कुंडली में बुध लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित हैं अर्थात बुध यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मिथुन अथवा कन्या राशि में स्थित हैं तो आपकी कुंडली में भद्र योग है.
भद्रक योग की कुंडली का जातक बुद्धि, चतुराई और वाणी का धनी होता है. वह सफल वक्ता भी बन सकता है. ऐसा जातक चार कौशल, लेखन, गणित, कारोबार और सलाहकार के क्षेत्र में सफल रहता है. उसमें विश्लेषण करने की गजब क्षमता रहती है. उसकी तार्किक शक्ति भी अद्भुत रहती है.
Khushi Soni Verma
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली के किस योग से बढ़ते हैं शत्रु
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