नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध को खत्म करने की कोशिश के तहत कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. सेटेलाइट से कुछ नई तस्वीरें मिली हैं जो दिखाता है कि वो लद्दाख के पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील से दूर नहीं गया है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास सोमवार को नए सिरे से मिली सेटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने पैंगोंग त्सो झील के आसपास विवादित फिंगर 4 और फिंगर 8 क्षेत्रों के पास एक नई रेडोम संरचना का निर्माण किया है.
रेडोम बड़े गुंबद के आकार की वो संरचनाएं होती हैं जो रडार को खराब मौसम से बचाते हैं और साथ ही बिना किसी बाधा के विद्युत चुम्बकीय संकेतों को हासिल करने की मदद करते हैं.
डेमियन साइमन ने आगे दावा किया कि ये तस्वीरें निर्माणाधीन सौर पैनल और एक प्रस्तावित रडार का व्यूशेड दिखाती हैं जो “हाइलाइट किए गए इलाके और लेक सेक्शन में निगरानी के लिए अनुमति देता है”. दो साल पहले मई 2020 में पैंगोंग त्सो के आसपास पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच गतिरोध बढ़ गया था और तब हिंसक झड़प भी हुई थी और इसके करीब दो साल बाद इस तरह की गतिविधियां दिख रही हैं.
भारत और चीन पारस्परिक रूप से पिछले साल की शुरुआत में इस विवादित क्षेत्र से अलग होने और यथास्थिति पर लौटने को लेकर राजी हो गए थे, जिससे दोनों पक्षों के बीच विवादित सीमा क्षेत्रों, खास तौर से फिंगर 4 पर कई दौर की बातचीत हुई, जहां गतिरोध हुआ था.
हालांकि, इस साल जनवरी में मीडिया में यह खबर आई थी कि चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के अपनी तरफ पैंगोंग त्सो झील के पार एक पुल का निर्माण कर रहा है, जिसे भारतीय सेना के अभियानों का ‘काउंटर’ करने के लिए एक संभावित कदम माना जा रहा है.
साथ ही यह बात भी सामने आई कि सितंबर 2020 और 2021 के मध्य के बीच गतिरोध की स्थिति बनी रही थी. इस बीच चीनियों ने भारतीय सैनिकों पर नजर बनाए रखने के लिए मोल्डो गैरीसन के लिए एक नई सड़क बनाने में कामयाबी हासिल की थी. इसी साल मई में, वेबसाइट दि प्रिंट ने बताया कि चीन पैंगोंग त्सो में एक दूसरे पुल का निर्माण कर रहा है, जिसे “बड़ा, चौड़ा” और बख्तरबंद गाड़ियों को ले जाने में सक्षम कहा गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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