नई दिल्ली. 8 महीने पहले ही यानी फरवरी में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में नेताओं ने चुनाव के बाद दल नहीं बदलने की कसम खाई थी, लेकिन मौजूदा स्थिति बताती है कि 40 सदस्यों वाली गोवा विधानसभा में कांग्रेस की मौजूदगी 3 सीटों पर ही रह गई है। पंजाब में भी राहुल के पहुंचने के बावजूद पार्टी में आंतरिक कलह जारी रही। अगर हालात ऐसे ही रहे, तो कर्नाटक के आगामी चुनाव में पार्टी को मुश्किल हो सकती है।
फरवरी में राहुल की मौजूदगी में कांग्रेस के 37 और गठबंधन के साथी गोवा फॉरवर्ड पार्टी के 3 उम्मीदवारों ने पार्टी का साथ देने की शपथ खाई थी। उस दौरान नेताओं ने कहा था कि अगर वे 2022 में कांग्रेस पार्टी से विधानसभा के लिए चुने जाते हैं, तो 5 साल का कार्यकाल कांग्रेस विधायक के तौर पर पूरा करेंगे। इस दल का नेतृत्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत कर रहे थे।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी के बीच तनाव की खबरें आती रहीं। कहा जाता है कि सीएम बनने की चाहत रखे सिद्धू को चन्नी के उम्मीदवार बनने पर निराशा हाथ लगी थी। इतना ही नहीं वह लगातार चन्नी सरकार पर भी सवाल उठाते रहे थे। कहा गया कि तब दोनों के बीच तनातनी खत्म हो गई है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही सिद्धू की बेटी राबिया ने चन्नी को 'भ्रष्ट' बता दिया। उन्होंने सीएम उम्मीदवारी को लेकर कहा, 'शायद आलाकमान की कोई मजबूरी रही होगी। मैं इसमें कुछ नहीं कह सकती, लेकिन आप ईमानदार व्यक्ति ज्यादा समय तक नहीं रोक सकते। बेईमान को कभी न कभी रुकना होगा।' उन्होंने चन्नी के 'गरीब' होने पर भी सवाल उठाए थे। दरअसल, राहुल ने चन्नी को 'गरीब आदमी' बताया था।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले ही राज्य से खबरें आई कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी शिवकुमार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। कहा जाता रहा कि दोनों नेता कांग्रेस के चुनाव जीतने की स्थिति में सीएम पद के लिए अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे थे। कर्नाटक कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं के समर्थक भी अपने-अपने नेताओं के पक्ष में लामबंद हो रहे थे।
Source : palpalindia
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