दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, इंस्टाग्राम के मालिकाना हक वाली मेटा और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर सहित अन्य कंपनियों को भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप वीडियो जैसे कंटेंट को ऑनलाइन अपलोड करने को लेकर कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स को ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार को भी आदेश दिया है कि केंद्र इस मामले में अपनी एक डिटेल्ड रिपोर्ट को जल्द से जल्द दाखिल करे.
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि मेटा और ट्विटर सहित अन्य सोशन मीडिया कंपनियों को अपनी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी देने का आदेश दिया है कि आखिर इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉम्र्स पर रेप वीडियो और चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे वीडियो को अपलोड होने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस रिपोर्ट को मांगने के पीछे का मकसद यह जानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स इस बात की जानकारी दें कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में इन वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म पर रोकने के लिए किस तरह के नियम बनाए गए हैं. कंपनियां इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए ना केवल सख्य नियम बनाएं, बल्कि इस बात को भी सुनिश्चित करें कि इन नियमों का सही ढंग से पालन हो ताकि कोई भी इस तरह के अश्लील वीडियो को अपलोड ना कर पाए.
वहीं ज्यादातर मामलों में ऐसा देखा गया है कि ऐसे वीडियो शूट होने के बाद ऑनलाइन डाल दिए जाते हैं, जिससे ना केवल लड़कियों पर बल्कि बच्चों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश पर केंद्र सरकार इस मामले में अपनी एक विस्तृत यानी डीटेल्ड रिपोर्ट को दाखिल करेगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हिजाब केस में सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी: कहा- शैक्षणिक संस्थान तय कर सकते हैं ड्रेस
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