जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिरने का खतरा टला नहीं है। बगावत की तलवार अब भी लटकी हुई है। सरकार की मजबूरी है कि वह सधे हुए कदमों से आगे बढ़े। विधायी कामकाज में जरा सी चूक हुई तो सरकार पर कभी भी खतरा आ सकता है। इसलिए सरकार ने बजट सत्र का सत्रावसान नहीं किया। उसी सत्र को जारी रखा। ताकि नए सत्र के लिए राज्यपाल से अनुमति लेनी नहीं पड़े। सीएम गहलोत ने खुद स्वीकार किया है कि उनकी सरकार को गिराने का खतरा अभी टला नहीं है। सीएम गहलोत ने कहा कि बीजेपी ने देश में हाॅर्स ट्रेडिंग का नया माॅडल तैयार कर लिया है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि कैबिनेट विधानसभा बुलाने का अनुरोध करें और राज्यपाल मना कर दे। उल्लेखनीय है कि बदली हुई परिस्थितियों में सीएम अशोक गहलोत सधे हुए कदम रख रहे हैं। पायलट समर्थकों के आए हु़डदंग और बयानबाजी से सीएम गहलोत बेहद सतर्क हो गए है। सोमवार को सीएम गहलोत ने बीजेपी को जमकर निशाने पर लिया।
सीएम गहलोत ने कहा कि विधानसभा की बैठक बुलानी हो तो कैबिनेट से फाइल पास करवाकर राज्यपाल के पास भेजनी होती है। राज्यपाल की अनुमति से ही विधानसभा का नया सत्र बुलाया जा सकता है। इस औपचारिकता से बचने के लिए बजट सत्र को जारी रखने की औपचारिक तरकीब निकालनी पड़ी। सवाल पूछने का कोटा आधा रहने पर बीजेपी विधायकों ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के कक्ष में धरना दिया था। नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि गहलोत सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है।
गहलोत सरकार की नई रणनीति को सियासी संकट से जोड़कर देखा जा रहा है। अगर कभी बहुमत साबित करने के नौबत पड़े तो सरकार जब चाहे विधानसभा की बैठक बुला ले। राज्यपाल की मंजूरी की जरुरत नहीं पड़े। उल्लेखनीय है कि साल 2020 में पायलट समर्थकों की बगावत के बाद सरकार को बहुमत साबित करना था। राज्यपाल ने चार बार फाइल लौटा दी। इससे विरोधियों को तोड़फोड़ का समय मिल गया था।
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