सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती

सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती

प्रेषित समय :20:06:08 PM / Wed, Sep 21st, 2022

बृहस्पतिवार के दिन श्री हरी विष्णु की पूजा की जाती है. माना जाता है इस दिन श्रद्धापूर्वक श्री हरी का व्रत और पूजन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जल्द शादी करने की इच्छा रखे वालो के लिए भी ये व्रत बहुत लाभदायक होता है. अग्निपुराणानुसार अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से प्रारंभ करके सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
इसके अलावा घर में सुख शांति और श्री विष्णु भगवान् का आशीर्वाद भी मिलता है. लेकिन केवल पूजन करने और व्रत रखने से सम्पूर्ण फल नहीं मिलते. पूर्ण फल के लिये बृहस्पति देव की विधि और भाव से पूजा 
करना भी आवश्यक है. व्रती की सुविधा के लिये हम श्री बृहस्पति देव की पूजा और उद्यापन विधि क्रम से बता रहे है आशा है आप इससे लाभान्वित होंगे.
बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन विधि एवं नियम
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु जी एवं बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, कुवारी लडकियां इस व्रत को इसलिए करती हैं जिससे की उनके विवाह में आने वाली रुकावटें दूर हो जाएगी. ऐसा कहा जाता है की अगर आप 1 वर्ष में गुरुवार का व्रत करते हैं तो आपके घर में कभी भी पैसे रुपयों की कमी नही होती और आपका पर्स कभी खली नही होता. आपको एक वर्ष में 16 गुरुवार व्रत करने चाहिए. 16 गुरुवार व्रत करने से आपको मनोवांछित फल मिलते हैं और व्रत पूरे करके 17वें गुरुवार को उद्द्यापन करना चाहिए.
गुरुवार व्रत को शुरू करने का शुभ समय
पूष या पौष के महीने को छोड़कर जो कि दिसम्बर या जनवरी में आता है को छोड़कर आप इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से शुरू कर सकते हैं. शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय होता है किसी भी नए कार्य को शुरू करने का. अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार सात या 16 गुरुवार करना चाहिए.
व्रत करने की विधि
इस व्रत की विधि के लिए आपको बहुत ही कम सामग्री चाहिए होगी जैसे की चने की दाल, गुड़, हल्दी, थोड़े से केले, एक उपला हवन करने के लिए और भगवान विष्णु की फोटो और अगर केले का पेड़ हो तो बहोत ही अच्छा है.
व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर सबसे पहले आप भगवान के आगे बैठ जाइये, और भगवान को साफ करने के पश्चात चावल एवं पीले फूल लेकर 16 गुरुवार व्रत करने का संकल्प करिए .
एवं भगवान विष्णु जी को छोटा पीला वस्त्र अर्पण करिए और अगर केले के पेड़ के सामने पूजा कर रहें हैं तो भी छोटा पीला कपड़ा चढ़ाइए.
आज कल लोगों के घर छोटे होते हैं तो आम तौर पर उनके घरों में केले का पेड़ नहीं होता इसलिए आप अपने घर के मंदिर में ही व्रत की विधि कर सकते हैं.
एक लोटे में जल रख लीजिये उसमे थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान जी या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइए.
अब उसी लोटे में गुड़ एवं चने की दाल डाल के रख लीजिये और अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो उसी पे चढ़ा दीजिये.
तिलक करिए भगवन का हल्दी या चन्दन से, पीला चावल जरुर चढ़ाएं, घी का दीपक जलाये, कथा पढ़िए.
कथा के बाद उपले पे हवन करिए, गाय के उपले को गर्म करके उसपे घी डालिए और जैसे ही अग्नि प्रज्वलित हो जाये उसमे हवन सामग्री के साथ गुड़ एवं चने की भी आहुति देनी होती है, 5, 7 या 11 ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ, हवन के बाद आरती कर लीजिये.
और अंत में क्षमा प्रार्थना करिए, पूजा पूरी होने के बाद आपके लोटे में जो पानी है उसे अपने घर के आस पास के केले के पेड़ पे चढ़ा दीजिये.
इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि इस दिन आप केले के पेड़ की पूजा करते हैं इसलिए गलती से भी केला न खाएं आप इसे केवल पूजा में चढ़ा सकते हैं एवं प्रसाद में बाट सकते हैं, अगर कोई गाय मिले तो उसे चने की दाल और गुड़ जरुर खिलाएं इससे बहोत पुण्य मिलता है.
पुरुष यह व्रत लगातार 16 गुरुवार कर सकते हैं परन्तु महिलाओं या लड़कियों को यह व्रत तभी करना चाहिए जब वो पूजा कर सकती हैं, मुश्किल दिनों में यह व्रत नही करना चाहिए.
गुरुवार व्रत की उद्द्यापन विधि 
उद्द्यापन के एक दिन पहले 5 चीजें लाकर रख लीजिये- चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता और पीला कपड़ा और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा रख दीजिये.
फिर गुरुवार के दिन हर व्रत की तरह यथावत पूजा के बाद प्रार्थना करिए की आपने संकल्प के अनुसार अपने व्रत पूरे कर लिए हैं और भगवान आप पर कृपा बनाये रखें, और आज आप पूजन का उद्यापन करने जा रहे हैं .
इसके पश्चात पूजा में ये सारी सामग्री भगवान विष्णु को चढ़ाकर किसी ब्राह्मण को दान करके उनका आशीर्वाद लीजिये.
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए. इस दिन पीले वस्त्रों, पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए. मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए. भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जा सकता है.
इस दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अगर बृहस्पतिदेव की पूजा करनी हो तो उनका ध्यान करना चाहिए. इसके बाद फल, फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए. प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है लेकिन इन केलों को दान में ही दे देना चाहिए. शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए.
गुरुवार व्रत का फल
गुरुवार का व्रत पूरे श्रद्धाभाव से करने पर व्यक्ति को गुरु ग्रह का दोष खत्म हो जाता है तथा गुरु कृपा प्राप्त होती है. इन दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है. व्रत करने वाले जातक को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन बाल न कटाएं और ना ही दाढ़ी बनवाएं. 
बृहस्पति वार व्रत उद्यापन विधि के लिए आवश्यक सामग्री:
धोती – 1 जोड़ा
पीला कपड़ा – 1.25 मीटर
जनेउ – एक जोड़ा
चने की दाल – 1.25 किलो
गुड़ – 250 ग्राम
पीला फूल, या फूल माला
दीपक – 1
घी – 250 ग्राम
धूप – 1 पैकेट
हल्दीपाउडर – 1 पैकेट
कपूर – 1 पैकेट
सिंदूर – 1 पैकेट
बेसन के लडू – 1.25 किलो
मुन्नका (किशमिश) – 25 ग्राम
कलश – 1
आम के पत्ते
सुपारी
श्रीफल
पीला वस्त्र
केला
विष्णु भगवान की मूर्ति
केले का पेड़
बृहस्पतिवार व्रत कथा 
प्राचीन समय की बात है. एक नगर में एक बड़ा व्यापारी रहता था. वह जहाजों में माल लदवाकर दूसरे देशों में भेजा करता था. वह जिस प्रकार अधिक धन कमाता था उसी प्रकार जी खोलकर दान भी करता था, परंतु उसकी पत्नी अत्यंत कंजूस थी. वह किसी को एक दमड़ी भी नहीं देने देती थी.
एक बार सेठ जब दूसरे देश व्यापार करने गया तो पीछे से बृहस्पतिदेव ने साधु-वेश में उसकी पत्नी से भिक्षा मांगी. व्यापारी की पत्नी बृहस्पतिदेव से बोली हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं. आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरा सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं. मैं यह धन लुटता हुआ नहीं देख सकती.
बृहस्पतिदेव ने कहा, हे देवी, तुम बड़ी विचित्र हो, संतान और धन से कोई दुखी होता है. अगर अधिक धन है तो इसे शुभ कार्यों में लगाओ, कुंवारी कन्याओं का विवाह कराओ, विद्यालय और बाग-बगीचों का निर्माण कराओ. ऐसे पुण्य कार्य करने से तुम्हारा लोक-परलोक सार्थक हो सकता है, परन्तु साधु की इन बातों से व्यापारी की पत्नी को ख़ुशी नहीं हुई. उसने कहा- मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है, जिसे मैं दान दूं.
साधु वेश धारी बृहस्पति देव का धन नष्ट होने के लिए सेठानी को दिया गया उत्तर 
तब बृहस्पतिदेव बोले “यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो तुम एक उपाय करना. सात बृहस्पतिवार घर को गोबर से लीपना, अपने केशों को पीली मिटटी से धोना, केशों को धोते समय स्नान करना, व्यापारी से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस-मदिरा खाना, कपड़े अपने घर धोना. ऐसा करने से तुम्हारा सारा धन नष्ट हो जाएगा. इतना कहकर बृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए.
व्यापारी की पत्नी ने बृहस्पति देव के कहे अनुसार सात बृहस्पतिवार वैसा ही करने का निश्चय किया. केवल तीन बृहस्पतिवार बीते थे कि उसी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई और वह परलोक सिधार गई. जब व्यापारी वापस आया तो उसने देखा कि उसका सब कुछ नष्ट हो चुका है. उस व्यापारी ने अपनी पुत्री को सांत्वना दी और दूसरे नगर में जाकर बस गया. वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता. इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा.
एक दिन उसकी पुत्री ने दही खाने की इच्छा प्रकट की लेकिन व्यापारी के पास दही खरीदने के पैसे नहीं थे. वह अपनी पुत्री को आश्वासन देकर जंगल में लकड़ी काटने चला गया. वहां एक वृक्ष के नीचे बैठ अपनी पूर्व दशा पर विचार कर रोने लगा. उस दिन बृहस्पतिवार था. तभी वहां बृहस्पतिदेव साधु के रूप में सेठ के पास आए और बोले “हे मनुष्य, तू इस जंगल में किस चिंता में बैठा है?”
बृहस्पतिवार को कैदखाने के द्वार पर उन्हें दो पैसे मिले. बाहर सड़क पर एक स्त्री जा रही थी. व्यापारी ने उसे बुलाकार गुड़ और चने लाने को कहा. इसपर वह स्त्री बोली “मैं अपनी बहू के लिए गहने लेने जा रही हूं, मेरे पास समय नहीं है।” इतना कहकर वह चली गई. थोड़ी देर बाद वहां से एक और स्त्री निकली, व्यापारी ने उसे बुलाकर कहा कि हे बहन मुझे बृहस्पतिवार की कथा करनी है. तुम मुझे दो पैसे का गुड़-चना ला दो.
बृहस्पतिदेव का नाम सुनकर वह स्त्री बोली “भाई, मैं तुम्हें अभी गुड़-चना लाकर देती हूं. मेरा इकलौता पुत्र मर गया है, मैं उसके लिए कफन लेने जा रही थी लेकिन मैं पहले तुम्हारा काम करूंगी, उसके बाद अपने पुत्र के लिए कफन लाऊंगी।”
वह स्त्री बाजार से व्यापारी के लिए गुड़-चना ले आई और स्वयं भी बृहस्पतिदेव की कथा सुनी. कथा के समाप्त होने पर वह स्त्री कफन लेकर अपने घर गई. घर पर लोग उसके पुत्र की लाश को “राम नाम सत्य है” कहते हुए श्मशान ले जाने की तैयारी कर रहे थे. स्त्री बोली “मुझे अपने लड़के का मुख देख लेने दो।” अपने पुत्र का मुख देखकर उस स्त्री ने उसके मुंह में प्रसाद और चरणामृत डाला. प्रसाद और चरणामृत के प्रभाव से वह पुन: जीवित हो गया.
दिन निकला तो राजा रानी ने हार खूंटी पर लटका हुआ देखा. राजा ने उस व्यापारी और उसकी पुत्री को रिहा कर दिया और उन्हें आधा राज्य देकर उसकी पुत्री का विवाह उच्च कुल में करवाकर दहेज़ में हीरे-जवाहरात दिए.
आरती बृहस्पति देव की
जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा .
छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी .
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता .
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े .
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥ 
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी .
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो .
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे .
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥

Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

इंदिरा (पितर) एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022 को रखा जाएगा

श्री वैभव लक्ष्मी व्रत विधि, कथा और महात्मय

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा हिंदू ढोंगी नंबर 1 हैं!

गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं के विनाश के लिये किया जाता है!

नवरात्र उपवास रखने वालों को यात्रा के दौरान रेलवे परोसेगा व्रत थाली, यहां जानिए मेन्यू व कीमतें

Leave a Reply