प्रदीप द्विवेदी. अशोक गहलोत के समर्थक समझ नहीं पा रहे हैं कि- कांग्रेस आलाकमान को सियासी सच्चाई दिखाना बगावत कैसे हो गई?
राजस्थान के कांग्रेस विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान का विरोध तो किया नहीं, अलबत्ता, सचिन पायलट के साथ कितने एमएलए हैं, यह जरूर जगजाहिर कर दिया है!
अशोक गहलोत के समर्थकों ने दो बार- एक बार पहले सचिन पायलट की बगावत के समय और दूसरा इस बार, यह साबित किया है कि बहुमत सचिन पायलट के साथ नहीं है, बावजूद इसके, यदि विधायकों की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए सचिन पायलट को सीएम जैसी जिम्मेदारी दी जाती है, तो एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के जमाने का सियासी इतिहास दोहराया जा सकता है, जब हरिदेव जोशी को बहुमत के समर्थन के बावजूद असम का राज्यपाल बना दिया गया था, नतीजा?
बाद में हरिदेव जोशी को फिर से मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था!
खबरें हैं कि.... गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और करीब डेढ़ घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद गहलोत ने प्रेस से बातचीत में यह साफ कर दिया कि- अब वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे!
खबरों की मानें तो दिल्ली में 10 जनपथ स्थित सोनिया गांधी के बंगले में अशोक गहलोत और सोनिया गांधी की मुलाकात हुई और दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई, इसके बाद बंगले से बाहर आए अशोक गहलोत ने मीडिया से कहा कि- कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठकर मैंने बात की है, मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है, विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया, ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है?
उन्होंने यह भी कहा कि- हमारे यहां हमेशा से परंपरा रही है कि हम आलाकमान के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं, मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं यह एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया, इस बात का दुख रहेगा, इस घटना ने देश के अंदर कई तरह के मैसेज दे दिए, वे सीएम रहेंगे या नहीं, यह बात सोनिया गांधी ही फाइनल करेंगी!
अभी भी यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले 24 घंटों में क्या सियासी समीकरण बनता है?
1, क्या अशोक गहलोत वास्तव में कांग्रेस अध्यक्ष उम्मीदवार नहीं बनेंगे और....
2, क्या कांग्रेस आलाकमान- बहुमत नहीं होने के बावजूद, सचिन पायलट को सीएम जैसी जिम्मेदारी देने की पॉलिटिकल रिस्क लेगा?
Ashok Gehlot @ashokgehlot51
ये हमारी पार्टी की परम्परा आज भी है, 50 साल से देख रहा हूँ, नबर वन जो होता है कांग्रेस प्रेसिडेंट, इंदिरा जी के वक्त से मैं देख रहा हूँ, राजीव जी के वक्त से मैं देख रहा हूँ, चाहे नरसिम्हा राव जी थे, सोनिया गांधी जी कांग्रेस प्रेसिडेंट हैं, हमेशा कांग्रेस के अंदर डिसिप्लिन है.
पूरे देश में अगर नेशनल पार्टी कोई है तो एकमात्र कांग्रेस पार्टी है, उसकी नेता सोनिया गांधी जी हैं, सोनिया जी के डिसिप्लिन में पूरे देश की कांग्रेस है.
मीडिया में जो कुछ चल रहा है ये घटनाएं छोटी-मोटी होती रहती हैं, मेरी दृष्टि में और दृष्टिकोण हो सकता है, हमारे लिहाज से, हमारे दिल के अंदर, सबके दिल के अंदर, नंबर वन जो कांग्रेस अध्यक्ष होती हैं उनके अनुशासन में हम काम करते हैं, आप देखेंगे उसी हिसाब से आने वाले वक्त में फैसले होंगे....
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान कांग्रेस में संकट के बीच मायावती की पार्टी भी हुई एक्टिव
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