केके बिड़ला फाउंडेशन ने 32वें बिहारी पुरस्कार की घोषणा कर दी है. वर्ष 2022 के लिए यह पुरस्कार प्रसिद्ध लेखक डॉ. माधव हाड़ा को दिया जाएगा. हाड़ा को उनकी पुस्तक ‘पचरंग चोला पहर सखी री’ के लिए ‘बिहारी पुरस्कार’ देने के लिए चुना गया है. माधव हाड़ा की पुस्तक ‘पचरंग चोला पहर सखी री’ का प्रकाशन 2015 में वाणी प्रकाशन से हुआ था. पचरंग चोला पहर सखी री” का अंग्रेजी संस्करण Meera Vs Meera नाम से प्रकाशित हुआ है.
‘पचरंग चोला पहर सखी री’ पुस्तक में भगवान कृष्ण की भक्त मीराबाई के जीवन और समाज का वर्णन किया गया है. इस पुस्तक में हाड़ा लिखते हैं कि मीरां कोई संत या भावुकतापूर्ण ईश्वरभक्ति में लीन युवती नहीं थी. और न ही मीरां की रचनाओं में दर्शाया गए दुख का कारण पितृसत्तात्मक अन्याय नहीं था बल्कि कुछ विशेष घटनाएं और ऐतिहासिक परिस्थितियां थीं. हाड़ा लिखते हैं कि मीरां का समाज आदर्श समाज नहीं था, पर यह पर्याप्त गतिशील और द्वंद्वात्मक समाज था.
डॉ. माधव हाड़ा मीरां के जीवन से जुड़ी घटनाओं, जनश्रृतियों और ऐतिहासिक तथ्यों का विवेचन करते हैं. इतिहास में मीराबाई का कहीं कोई उल्लेख नहीं है. इसलिए जनश्रृतियां ही मीरा को जानने और समझने का आधार हैं. इस पुस्तक में मीरां के जीवन, संघर्ष और सृजन तीनों पर विश्लेषणात्मक व्याख्या प्रस्तुत की है.
माधव हाड़ा साहित्यिक आलोचक के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 1958 में हुआ था. प्रोफेसर हाड़ा उदयपुर विश्वविद्यालय में आचार्य और हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. वे शिमला स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संसथान में अध्येता रहे हैं.
बिहारी पुरस्कार- बिहारी पुरस्कार केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है और पुरस्कार राजस्थान के लेखकों को दिया जाता है. फांडेशन के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण ने बताया कि रीति काल के प्रसिद्ध कवि बिहारी लाल के नाम पर बिहारी पुरस्कार की स्थापना की गई थी.
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