नागपुर: आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में विजय दशमी समारोह में शामिल हुए. रेशम बाग में विजयादशमी के मौके पर दशहरा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता से लेकर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून की वकालत की. उन्होंने कहा कि जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है, वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते. वहीं, उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर जोर देते हुए कहा कि जनसंख्या नीति व्यापक सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो. इस अवसर पर पर्वतारोही संतोष यादव, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहे.
आरएसएस ने नागपुर के रेशमबाग मैदान में दशहरे के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया था. इस दौरान संघ की ओर से शस्त्र पूजन किया गया. संघ के इस कार्यक्रम में पहली बार कोई महिला मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई हैं. पद्मश्री पर्वतारोही संतोष यादव ने संघ के इस दशहरा कार्यक्रम में संबोधन भी दिया. इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं है.
मोहन भागवत ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है. साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में भारत के रुख की दुनिया में तारीफ हो रही है. दुनिया में भारत में बात सुनी जा रही है. देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम आत्मनिर्भर हो रहे हैं. राष्ट्रविरोधी बातों का आवश्यक रूप से विरोध होना चाहिए. राष्ट्रविरोधी बातों को भोले मन से स्वीकार ना करें. उन्होंने कहा कि सामान्य लोग भी अब हमारे राष्ट्रीय पुनरुत्थान की प्रक्रिया का अनुभव कर रहे हैं. जब हम अपने प्यारे देश भारत को ताकत, चरित्र और अंतरराष्ट्रीय ख्याति में उल्लेखनीय प्रगति करते देखते हैं, तो हम सभी एक उत्साह की भावना महसूस करते हैं.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि देश के विकास के लिए सनातन और नए बदलाव जरूरी हैं. सनातन और नए बदलाव साथ चलते हैं. सनातन भटकाव से रोकता है. भटकाव से आपस में दूरियां बढ़ाते हैं. कुछ लोग देश में अराजकता फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो सब काम मातृशक्ति कर सकती है, वो सभी काम पुरुष नहीं कर सकते हैं. महिलाओं की यह शक्ति है और इसलिए उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है.
उन्होंने कहा कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारे मित्रों में सभी जातियों एवं आर्थिक समूहों के लोग हों, ताकि समाज में और समानता लाई जा सके. जनसंख्या नीति व्यापक सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो. हर कोई चाहता है कि नई शिक्षा नीति छात्रों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करे.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देशों के समूह में भारत का महत्व और कद बढ़ गया है. सुरक्षा के क्षेत्र में हम अधिकाधिक आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि संघ में, अपने कार्यक्रमों में बौद्धिक और कुशल महिला मेहमानों का स्वागत करने की एक पुरानी परंपरा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्र सेविका समिति द्वारा ‘व्यक्तित्व निर्माण’ की शाखा पद्धति अलग-अलग संचालित की जा रही है. राष्ट्रीय स्तर के विकास की प्रक्रिया में बाधाओं पर काबू पाने की जरूरत है. संघ प्रमुख ने कहा, ‘एक बाधा रूढ़िवाद है! वर्तमान समय और राष्ट्र के साथ तालमेल बैठाने वाली नई परंपराओं को तैयार करना होगा, साथ ही हमें अपने सनातन मूल्यों के प्रति सचेत रहना होगा.’
मोहन भागवत ने कहा है कि परिवर्तन को अपनाना है लेकिन सनातन संस्कृति के साथ चलना है. सनातन संस्कृति, मेरे भारत की पवित्र भूमि पर जन्मी है. हिमालय से लेकर सागर तक. इसलिए हम सब भारतीयों की जिम्मेदारी है कि सनातन संस्कृति उद्घोष, इसका प्रचार पूरे विश्व में, पूरी जागृत अवस्था के साथ स्वयं अपनाएं और मानवकल्याण के लिए इसके प्रचार-प्रसार में जुटना चाहिए.
संघ प्रमुख ने कार्यक्रम में कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ और नफरत के आधार पर दूरियां और दुश्मनी फैलाने का काम स्वतंत्र भारत में भी चल रहा है. उनके बहकावे में न फंसते हुए, उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो. उनके प्रति निर्भयतापूर्वक उनका निषेध व प्रतिकार करना चाहिए. दूसरे प्रकार की बाधाएं जो हमारे सनातन धर्म में बाधक हैं, वे उन ताकतों की ओर से बनाई गई हैं, जो भारत की एकता और प्रगति के विरोधी हैं. वे नकली आख्यान फैलाते हैं, अराजकता को प्रोत्साहित करते हैं, आपराधिक कृत्यों में लिप्त होते हैं, आतंक, संघर्ष और सामाजिक अशांति को भड़काते हैं.
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