विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की कमी से हृदय रोगों का बढ़ता है खतरा

विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की कमी से हृदय रोगों का बढ़ता है खतरा

प्रेषित समय :11:27:41 AM / Sat, Oct 8th, 2022

तरह ही हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और उसका डीएनए एकदम अलग और खास होता है. कोई भी दो दिल एक जैसे नहीं होते हैं और एक परिवार में भी शारीरिक और आनुवंशिक अंतर पाए जा सकते हैं. साथ ही हृदय रोग का इलाज भी हर केस में अलग-अलग होता है. मेडिकल प्रोफेशनल्स डायबिटीज वाले व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति के लिए एक ही एक्सरसाइज की सलाह नहीं दे सकते. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हृदय रोग दुनियाभर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है. 2019 में CVD से करीब 1.79 करोड़ लोगों की मौत हुई, जो दुनियाभर में होने वाली मौतों का 32 प्रतिशत है. इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से हुईं. हृदय के स्वास्थ्य को समझने के लिए हमें हृदय रोग को समझना होगा. हृदय रोग हृदय को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के बारे में बताता है, जिसमें ब्लड वेसल डिजीज (रक्त वाहिका रोग), जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, अनियमित दिल की धड़कन, जन्मजात हृदय दोष और हार्ट वाल्व डिजीज शामिल हैं.

हृदय रोग से जुड़े कारकों में शामिल है उम्र – क्योंकि धमनियों के क्षतिग्रस्त और संकुचित होने और हृदय की मांसपेशियों के कमजोर या मोटी होने की संभावनाएं उम्र के साथ बढ़ जाती हैं – और लिंग – क्योंकि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में हृदय रोग विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है. मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद महिलाएं ज्यादा कमजोर होती हैं और अगर हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास रहा है, तो यह उनमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने के खतरे को बढ़ाता है, खासकर अगर उनके माता-पिता को यह कम उम्र में हुआ हो.

तनाव भी बढ़ा सकता है दिल के रोग
बेशक धूम्रपान, अनहेल्दी खाना, हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर), हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और एक खराब लाइफ स्टाइल का हृदय की बीमारियों से सीधा संबंध है. इन्हें इसके रिस्क फैक्टर के तौर पर भी देखा जा सकता है. तनाव भी धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है और हृदय रोग होने की वजह बन सकता है. हालांकि भले ही आप सब कुछ ठीक से मैनेज कर रहे हों फिर भी केवल एक खास विटामिन की कमी से हृदय रोग की संभावना बढ़ सकती है.

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी शरीर को प्रभावित कर सकती है, मेडिकल लिटरेचर बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन की कमी की ओर इशारा करता है जो मुख्य रूप से हृदय के खराब स्वास्थ्य से जुड़ा है. सऊदी महिलाओं पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि विटामिन बी12 के निम्न स्तर कुल कोलेस्ट्रॉल, LDL कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर – जिसे खराब कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है और ट्राइग्लिसराइड्स से जुड़े थे.

विटामिन B निभाते हैं मुख्य भूमिका
बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन होमोसिस्टीन मेटाबॉलिज्म में एक खास भूमिका निभाते हैं, विटामिन की कमी के चलते होमोसिस्टीन के स्तर में वृद्धि होती है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. होमोसिस्टीन के स्तर में वृद्धि को रेगुलेट करके, बी विटामिन किसी के हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं. साथ ही यह दिल के दौरे के खतरे को कम कर सकता है. विटामिन बी12 एनीमिया से पीड़ित लोगों को भी दिया जाता है – जिससे खून की गुणवत्ता और स्वास्थ्य में सुधार होता है.

थायमिन की कमी उन 80 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है जो शराब के आदी हैं. यदि शरीर को थायमिन के अवशोषण में समस्या बनी रहती है, तो इससे कार्डियोमायोपैथी जैसी गंभीर हृदय समस्याएं हो सकती हैं, जिनका इलाज न किए जाने पर यह घातक सिद्ध हो सकती हैं. थायमिन की कमी के कारण हार्ट फेल होने का इलाज थायमिन का एक इंजेक्शन देकर किया जा सकता है, और हमें इसके बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं. हार्ट फेल होने के दूसरे इलाजों के उलट, यह इलाज ज्यादा किफायती है. होमोसिस्टीन का हाई लेवल हार्ट डिजीज के लिए एक रिस्क फैक्टर है. यह बी 6, बी 12 के निम्न स्तर और फोलेट और गुर्दे की बीमारी से जुड़ा हुआ है. फोलिक एसिड या बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन दिल के दौरे, स्ट्रोक या हृदय रोग से होने वाली मौत के खतरे को भी कम कर सकता है.

एक साधारण सा बी कॉम्प्लेक्स दिल के दौरे को रोक सकता है. इसलिए बी 12, विटामिन डी और दूसरे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के लिए नियमित रूप से टेस्ट करवाना जरूरी है ताकि एक लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक के परामर्श से समय पर इसका इलाज किया जा सके

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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