नई दिल्ली. स्वरुपानंद सरस्वती के निधन के बाद ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ी साफगोई के साथ कहा कि वह सन्यासी हैं और उन्हें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. शंकराचार्य बनने के बाद पहली बार मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि स्वरुपानंद जी पर अक्सर कांग्रेस के करीब होने की बात कही जाती थी, लेकिन यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि न तो स्वरुपानंद जी कांग्रेस के करीब थे और न ही वह खुद भाजपा के.
मीडिया ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राहुल को लग रहा होगा कि भारत टूट रहा है.राजनीतिक दलों से नजदीकियों को लेकर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वह सन्यासी हैं और सन्यासी तो अपने मां बाप के भी नहीं होते. इस मौके पर उन्होंने सनातन धर्मावलंबियों को अपनी जड़ों से जुड़ कर रहने की अपील की. चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर वह समाप्त हो जाएंगे.
छत्तीसगढ़ में राजकीय अतिथि का दर्जा लौटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस वाले लोगों को धक्के मार कर हटा रहे थे. उन्हें यह ठीक नहीं लगा. वह नहीं चाहते कि भक्तों को असुविधा हो. ऐसी सुरक्षा का क्या मतलब जो उन्हें अपने ही भक्तों से दूर कर दे. हमें अपनी सुरक्षा से पहले लोगों की भावना का कद्र करना चाहिए. यदि लोग हमारे विरुद्ध होंगे तो हम कितनी ही सुरक्षा में रहें, हम समाप्त हो जाएंगे.
अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बार फिर ताजमहल को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर वहां ऐसा क्या है, जो लोगों को कैमरा लेकर नहीं जाने दिया जाता. क्या ताजमहल के उस दरवाजे को खोल दिया जाएगा तो भारत में भूचाल आ जाएगा, यदि ऐसा है तो भारत के राष्ट्रपति को बोल देना चाहिए कि इसमें ताकझांक करने से भूकंप आ जाएगा.
उन्होंने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को कांग्रेस के नजदीक बताना जितना भ्रमपूर्ण है, उतना ही ये भी भ्रमपूर्ण है कि हम खुद भाजपा के करीब हैं. वह केवल और केवल सनातन धर्म के नजदीक हैं. उन्होंने कहा कि वह तो अपने घरवालों के नहीं हुए, मां बाप के नहीं हुए तो किसके हो जाएंगे?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
Leave a Reply