ज्योतिष से पिता-पुत्र सम्बन्ध

ज्योतिष से पिता-पुत्र सम्बन्ध

प्रेषित समय :21:16:49 PM / Thu, Oct 13th, 2022

लड़के के जन्म पर परिवार में खुशियां मनाई जाती है, मिठाइयां बांटी जाती हैं. किसी परिवार में लड़के का जन्म होने के बाद परिवार की सामाजिक ,आर्थिक और मानसिक स्थिति सुधरने लगती है. माता- पिता और परिवार के अन्य सदस्य लड़के के पालन पोषण का विशेष ध्यान रखते हैं. लड़का बड़ा होकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके, उच्च पद पर आसीन होकर अथवा अच्छा उद्योगपति या व्यापारी बनकर परिवार का नाम ऊंचा करने के साथ परिवार का भरण पोषण कर सके यह सपना प्रत्येक परिवार का रहता है.

किसी परिवार में लड़के के जन्मदिन से ही आर्थिक एवं सामाजिक परेशानियां पैदा होने लगती हैं. कभी लड़का बीमार ही पैदा होता है और उसके इलाज में धन और समय नष्ट होता है. कभी पिता और पुत्र में असामान्य या शत्रुतापूर्ण सम्बन्ध हो जाते हैं. पिता के रहते कभी पुत्र उन्नति नहीं कर पाता. कभी लड़के के रहते पिता तरक्की नहीं कर पाता. ऐसा क्यों  आइये ज्योतिष के दर्पण में कुछ विशेष योगों का विश्लेषण करें जो पिता और पुत्र के सम्बन्ध को प्रभावित करते हैं.शनि को सूर्य का पुत्र कहा है. दोनों में शत्रुता है.

शनि जन्म पत्रिका में जिस स्थान पर रहता है उसके अलावा वह पूर्ण दृष्टि से पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी, सातवीं, आठवीं, दसवीं बारहवीं और शनि की स्वयं की राशि मकर और कुंभ को देखता है. शनि की इन दृष्टियों में यदि सूर्य विद्यमान है युति कर रहा है या गोचर में आ जाए और इसी प्रकार शनि, सूर्य के प्रभाव या दृष्टि में आ जाए तो पिता पुत्र का सम्बन्ध प्रभावित हुए बिना नहीं रहता.

कुछ योग-

1- किसी जातक का वृश्चिक लग्न है. ग्यारहवें घर में सूर्य और शनि है. यह लड़का गर्भ में था, तभी से पिता को भयंकर दरिद्रता प्राप्त हुई. व्यापार में दिवालिया होकर उद्योग रहित होना पड़ा. सामाजिक प्रतिष्ठा समाप्त हो गई.2- जातक का यदि कुम्भ लग्न है. सूर्य मेष राशि में तृतीय स्थान पर और शनि तुला राशि में नवम स्थान पर है. एक दूसरे को सप्तम दृष्टि से देख रहे हैं. बालक के पैदा होते ही पिता दिवालिया हो जाता है.

3- किसी जातक का यदि  मेष लग्न है. सूर्य मकर का होकर दसवें स्थान पर है. शनि धन, राशि का होकर नवम स्थान पर है. बालक के जन्म लेते ही पिता को आर्थिक नुकसान होना शुरू हो गया. पिता अपने आर्थिक कष्ट के कारण लड़के का इलाज भी नहीं करवा पाया, जिसकी वजह से लड़का अल्प समय में ही साथ छोड़ गया. बाद में पिताजी की स्थिति सामान्य हो गई.

4- जातक का यदि मकर लग्न है. सूर्य वृश्चिक राशि में ग्यारहवें स्थान पर और शनि तुला का होकर दसवें स्थान पर है. लड़का डाक्टर है. सर्जरी में निपुण है. परंतु प्रैक्टिस नहीं चली. घर का खर्च चले इतनी आय भी नहीं होती थी. पिता के स्वर्गवास होने के बाद अच्छी उन्नति की.

5- किसी जातक का यदि धनु लग्न है. सूर्य और शनि लग्न में है. बहुत बुद्धिमान वकील है, परंतु वकीली नहीं चली, क्योंकि पिता साथ में रहते थे. घर से अलग और दूसरे शहर में जाकर प्रैक्टिस करने पर सफलता, नाम और धन कमाया.

6- जातक का यदि मेष लग्न है. सूर्य पंचम स्थान पर स्वग्रही होकर बैठा है और शनि कर्क का होकर चतुर्थ स्थान पर है. दो पुत्र हुए, परंतु दोनों से सुख नहीं मिला. धननाश, व्यवसाय में हानि, परिवार का खर्च पूरा न होना, कर्ज में गले- गले तक डूबना आदि संकट भोगने पड़े.

7- किसी जातक का यदि मेष लग्न है. पंचम में शनि और सूर्य की युति है. पुत्र का जन्म होते ही पिता दिवालिया हुआ और आर्थिक कष्ट भोगने पड़े.

8- जातक का यदि मेष लग्न है. सूर्य मिथुन का होकर तृतीय स्थान पर है और शनि तुला का होकर सप्तम स्थान पर है. इस पुत्र का जन्म होने के बाद पिता की स्थिति में क्रमशः अवनति होती गई, क्योंकि शनि की नवम दृष्टि है.

9- किसी जातक का यदि मकर लग्न है. सूर्य कुंभ राशि में दूसरे स्थान पर है और शनि वृश्चिक का होकर ग्यारहवें स्थान पर है. इस योग में पिता ने भयंकर दरिद्रता भोगी और माता को भी मृत्युतुल्य कष्ट भोगना पड़ा, क्योंकि शनि की चतुर्थ दृष्टि है.

10- यदि वृषभ लग्न है. शनि मिथुन का होकर दूसरे स्थान पर है और रवि कन्या के पंचम स्थान पर है. पिता पुत्र दोनों को धन सम्पत्ति की हानि हुई. जीवन कष्टप्रद रहा, क्योंकि शनि की चतुर्थ दृष्टि है.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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