आज विश्व एनेस्थीसिया दिवस है. मेडिकल के क्षेत्र में एनेस्थीसिया का बहुत बड़ा महत्व है. एक्सपर्ट की मानें तो एक सर्जरी और ऑपरेशन में जितना जरूरी एक सर्जन का होना होता है उतना ही महत्वपूर्ण स्थान एनेस्थीसिया का है. एनेस्थीसिया के आने से हेल्थ एक्सपर्ट को सर्जरी में काफी मदद मिली. एनेस्थीसिया के आविष्कार से पहले मनुष्य तो बेहोश करने में जो तरीके अपनाएं जाते थे उससे मरीज को काफी देर में होश आता था लेकिन, अब इलाज में जितना समय लगना है एनेस्थीसिया की मदद से मरीज को सिर्फ उतनी देर के लिए बेहोश कर पाना संभव हो गया है. एनेस्थीसिया से मेडिकल क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है.
क्या है एनेस्थीसिया?
एनेस्थीसिया एक द्रव्य पदार्थ होता है. इसका इस्तेमाल बड़े बड़े ऑपरेशन और सर्जरी से पहले किया जाता है. मरीज को दर्द न हो इसलिए एनेस्थीसिया की मदद से उसे बेहोश किया जाता है. कई बार एक्सपर्ट लकवा जैसे रोगों के दर्द को कम करने के लिए एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करते हैं.
एनेस्थीसिया के प्रकार
सामान्य एनेस्थीसिया: सामान्य एनेस्थीसिया बेहोश करने का नियंत्रित तरीका है. इसमें एक फिक्स टाइम के लिए मरीज को बेहोश किया जाता है. इस दौरान मरीज को कुछ भी महसूस नहीं होता. होश आने के बाद आपको यह याद नहीं रहता कि एनेस्थीसिया के दौरान क्या हुआ. हृदय, फेफड़ा, पेट आदि जैसे ऑपरेशन के दौरान सामान्य एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है. रॉयल कॉलेज ऑफ एनेस्थेटिस्ट के अनुसार एनेस्थीसिया कई प्रकार को होता है.
लोकल एनेस्थीसिया
लोकल एनेस्थीसिया शरीर के एक छोटे से हिस्से को अधिक शून्य करने के लिए दिया जाता है, जहां ऑपरेशन करना होता है. ऐसे एनेस्थीसिया में आप होश में रहते हैं लेकिन आपको दर्द महसूस नहीं होता. इस एनेस्थीसिया का प्रयोग जैसे दांत निकालने, आंखों के उपचार के दौरान किया जाता है.
क्षेत्रीय एनेस्थीसिया
इस प्रकार के एनेस्थीसिया में शरीर के किसी बड़े या फिर गहरे क्षेत्र की नसों में दर्द निवारक दवाएं इंजेक्ट की जाती हैं. इससे शरीर का वह क्षेत्र पूरी तरह से शून्य हो जाता है और किसी भी तरह का दर्द महसूस नहीं होता. सामान्य तौर पर यह निचले
स्पाइनल और एपिड्यूरल एनेस्थेसिया
स्पाइनल और एपिड्यूरल क्षेत्रीय एनेस्थेटिक्स के सबसे सामान्य प्रकार हैं. इस तरह के एनेस्थीसिया का उपयोग सामान्यतौर पर शरीर के निचले हिस्से के ऑपरेशन के लिए किया जाता है. जैसे सिजेरियन सेक्शन, मूत्राशय का ऑपरेशन या फिर कूल्हे को बदलना हो. इसमें आप होश में रहते हैं, लेकिन दर्द महसूस नहीं होता. एनेस्थीसिया के अन्य प्रकार में बेहोशी की क्रिया है जिसमें नींद जैसी स्थिति होती है. इसमें बेहोश करने के लिए कम मात्रा में एनेस्थीसिया दिया जाता है. इसमें आपको नींद महसूस होगी और जो ऑपरेशन हो रहा है उससे तनाव मुक्त रखा जाता है. इस प्रकार के एनेस्थीसिया में एक व्यक्ति आपसे बात करता रहेगा.
सिडेशन – इस प्रकार के एनेस्थीसिया में इस प्रकार की दवाएं आती हैं जो कि आपको शारीरिक और मानसिक रूप से आराम देती हैं. इनका प्रयोग कभी कभी छोटे दर्द वाले सर्जरी के दौरान किया जाता है.
एनेस्थीसिया का हमारे शरीर पर प्रभाव
मेडिकल के क्षेत्र में एनेस्थीसिया ने डॉक्टर्स की बहुत बड़ी समस्या को हल किया है. हर ऑपरेशन और सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की जरूरत पड़ती है. हालांकि कुछ ऐसी रिपोर्ट भी हैं जिसमें ऐसी बाते भी सामने आईं हैं कि एनेस्थीसिया का हमारे शरीर पर बुरा असर भी पड़ सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक जिन मरीजों को एनेस्थीसिया दिया जाता है उन्हें दोबारा अपने काम पर लौटने में लंबा वक्त लगता है. एनेस्थीसिया का हमारे दिमाग पर भी अपना असर छोड़ता है. एनेस्थीसिया पाने वाले मरीजों में अक्सर उच्च रक्तचाप, घबराहट, भ्रम की स्थिति आदि के लक्षण पाए जाते हैं. इसके अलावा एनेस्थीसिया जिस मरीज को दिया जाता है उसमें कई अन्य लक्षण भी पाए जा सकते हैं…
- उल्टी करने का मन करना
- चक्कर आना या बेहोशी छाना
- ठंड लगना
- सिरदर्र और खुजली महसूस करना
- जिस जगह पर एनेस्थीसिया दिया जाता है वहां चोट जैसे निशान पड़ना
- पेशाब करने में परेशानी होना
- मरीज को लगातार दर्द होना
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