श्रीलंकाई राइटर शेहान करुणातिलका ने अपनी दूसरी नॉवल ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए साहित्य के क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित ‘बुकर पुरस्कार‘ जीत लिया है. करुणातिलका को साल 2019 के बाद से अंग्रेजी भाषा के साहित्यिक पुरस्कार के पहले इन-पर्सन इवेंट में क्वीन कंसोर्ट कैमिला से ट्रॉफी मिली. ट्रॉफी के साथ-साथ उन्हें 50,000 पाउंड (46,61,756 भारतीय रुपये) से भी नवाजा गया है. देश के गृहयुद्ध के दौरान 1990 में श्रीलंका पर आधारित करुणातिलका की कहानी समलैंगिक युद्ध फोटोग्राफर और जुआरी माली अल्मेडा की बात करती है. जिनकी मौत हो जाती है.
करुणातिलका ने बुकर पुरस्कार जीतने के बाद कहा कि मुझे आशा है कि ‘सेवन मून्स’ को श्रीलंका में पढ़ा जाता है. श्रीलंकाई लोग इससे ये सीखते हैं कि भ्रष्टाचार, जातिवाद और क्रोनिज्म के विचार कभी काम नहीं आते और ना ही कभी आएंगे. उन्होंने कहा कि ‘सेवन मून्स’ बुकशॉप के फैंटेसी सेक्शन में रहेगी और यथार्थवाद या राजनीतिक व्यंग्य के लिए गलत साबित नहीं होगी.
द बुकर प्राइज फॉर फिक्शन 2022’ के लिए दुनिया के 6 श्रेष्ठ किताबों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. बुकर पुरस्कार के दावेदारों की इस साल की लिस्ट में श्रीलंकाई राइटर शेहान करुणातिलका की नॉवल ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के अलावा, ब्रिटिश राइटर एलन गार्नर की ‘ट्रेकल वॉकर’, जिम्बाब्वे के राइटर नोवियोलेट बुलावायो की ‘ग्लोरी’, आयरिश राइटर क्लेयर कीगन की ‘स्मॉल थिंग्स लाइक दिस’, अमेरिकी राइटर पर्सीवल एवरेट की ‘द ट्रीज़’ और अमेरिकी लेखक एलिजाबेथ स्ट्राउट की ‘ओह विलियम’ शामिल रहीं.
जैसे सिनेमा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए ऑस्कर अवॉर्ड या फिल्मफेयर अवॉर्ड दिए जाते हैं. ठीक उसी तरह साहित्य के क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन और योगदान के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं. बुकर अवॉर्ड एक साहित्यिक पुरस्कार है, जो हर साल इंग्लिश लेंग्वेज में लिखे गए और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित हुए बेस्ट नॉवल को मिलता है. बुकर अवॉर्ड एक हाई-प्रोफाइल साहित्यिक पुरस्कार होता है. यही वजह है कि हर साल दिए जाने वाला इस अवॉर्ड के इंतजार में दुनिया के तमाम लेखक होते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
Leave a Reply