नई दिल्ली. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीत गए हैं। हालांकि, उन्होंने अभी पद संभाला नहीं है, लेकिन उनकी जीत से ही दिल्ली के अलावा कर्नाटक में भी राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। दरअसल, वह खुद खड़गे ने भी कलबुर्गी से ही राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। ऐसे में राज्य के बड़े नेता के पार्टी प्रमुख बनने से प्रदेश इकाई और जातीय समीकरण पर असर पड़ सकता है। इसकी आंच भारतीय जनता पार्टी पर भी पड़ सकती है।
रअसल, खड़गे खुद SC (राइट) से आते हैं, जहां भाजपा ने सियासी जमीन तलाश ली है। अब कांग्रेस नेता के प्रमोशन से इनमें से कुछ वर्ग भी खड़गे के पीछे लामबंद हो सकते हैं। इसके अलावा कांग्रेस भी यह संदेश देना चाहेगी कि उनका नेतृत्व दलित नेता कर रहे हैं और कांग्रेस शासन में उनका ध्यान रखा जाएगा।
SC (राइट) की तुलना में SC (लेफ्ट) काफी पिछड़ा हुा माना जाता है। वहीं, भाजपा भी इस वर्ग की ओर अपना ध्यान बढ़ा रही है। पार्टी ने जस्टिस सदाशिव आयो की रिपोर्ट के भी पेश करने की योजना तैयार की है। आयोग ने कोटा व्यवस्था में असंतुलन को लेकर कुछ सिफारिशें की थीं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर जीत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी कोटा में क्रमश: 2 और 4 फीसदी के इजाफे की तैयारी कर रहे हैं। पहला, प्रदेश प्रमुख डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया के बीच जारी तनातनी पर विराम लग सकता है। विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में सीएम उम्मीदवार चुनने में फायदा हो सकता है। हालांकि, खुद खड़गे पहले तीन बार सीएम बनने से चूक गए थे। इसके अलावा कर्नाटक में बड़े कद के नेता की मौजूदगी पार्टी को टिकट बटवारे में मदद कर सकती है।
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