हिमालच प्रदेश में टिकट को लेकर भाजपा के भीतर नाराजगी और बगवाती तेवरों को पार्टी नेतृत्व तेजी से नियंत्रित कर रहा है। पार्टी ने बगावत से सख्ती से निपटते हुए नेता महेश्वर सिंह का टिकट नामांकन के आखिरी दिन अंतिम क्षण में काट दिया। दस में से जिन पांच निवर्तमान विधायकों के टिकट काटे गए थे, उनकी नाराजगी भी दूर कर दी है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य होने से हिमाचल चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बने हुए हैं। पार्टी को तीन दशकों का हर बार सत्ता परिवर्तन का क्रम तोड़ना है। ऐसे में भाजपा ने टिकट बांटने में सावधानी बरती और 43 में से 32 विधायकों को फिर से टिकट दिया, ताकि बागवत को ज्यादा हवा न मिले। दरअसल, हिमाचल में अब भाजपा व कांग्रेस में सीधी लड़ाई की स्थिति बन रही है। इसलिए भाजपा बहुत ज्यादा प्रयोग करने से बची है।
सूत्रों के अनुसार नड्डा खुद नाराज नेताओं को मना रहे हैं। जहां मान-मनौव्वल काम नहीं कर रही है, वहां सख्ती भी दिखाई जा रही है। कुल्लू सीट पर महेश्वर सिंह का टिकट काट नरोत्तम ठाकुर को उम्मीदवार घोषित किया गया। महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर सिंह बंजार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने पर अड़े हुए थे। पार्टी ने साफ कर दिया था कि महेश्वर के बेटे ने बगावत नहीं छोड़ी तो उनका टिकट काट दिया जाएगा।
हिमाचल में 'आप' चुनाव मैदान में तो है, लेकिन वह त्रिकोणीय संघर्ष बनाने की स्थिति में नहीं दिख रही है। ऐसे में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस में ही सत्ता संघर्ष की उम्मीद है। यही वजह है कि दोनों दल अपने-अपने घर को संभालने पर जोर दे रहे हैं। भाजपा कांग्रेस में सेंध भी लगा रही है, ताकि जनता की हर बार सत्ता परिवर्तन की मानसिकता को बदलकर सरकार बरकरार रख सके।
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