भारत में कितने बजे शुरू होगा चंद्र ग्रहण? क्या करें, क्या न करें

भारत में कितने बजे शुरू होगा चंद्र ग्रहण? क्या करें, क्या न करें

प्रेषित समय :21:14:54 PM / Mon, Nov 7th, 2022

चंद्र ग्रहण की तिथि: 08 नवंबर, सोमवार 2022  को है.  
चंद्रग्रहण का समय : शाम 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- 08 नवंबर शाम 5 बजकर 28 मिनट पर
आपके शहर में चंद्र ग्रहण का समय

शहर , कब से शुरू  , शहर कब से शुरू
दिल्ली 5.28  , नोएडा 5.30
अमृतसर 5.32  , लखनऊ 5.16
भोपाल 5.36 , लुधियाना 5.34
जयपुर 5.37  , शिमला     5.20
मुंबई 6.01 ,  कोलकाता 4.52
रायपुर 5.21  , पटना 5.00
इंदौर 5.43  , देहरादून 5.22
उदयपुर 5.49  , गांधीनगर 5.55

इस राशि और नक्षत्र में लगेगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिष गणना के मुताबिक साल का यह चंद्र ग्रहण 08 नवंबर 2022 को मेष राशि और भरणी नक्षत्र में लगेगा. मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल होते हैं और इस दिन ये तीसरे भाव में वक्री अवस्था में रहेंगे. इसके अलावा चंद्रमा राहु के साथ मौजूद होंगे और सूर्य केतु,शुक्र और बुध के साथ स्थित होंगे. देवगुरु बृहस्पति अपनी स्वयं की राशि मीन और शनिदेव भी अपनी स्वयं की राशि मकर में विराजमान रहेंगे.

देश में यहां दिखेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण 
भारत में 08 नवंबर की शाम को जैसे ही चंद्रोदय होगा सबसे पहले पूर्वोत्तर की दिशा में सबसे पहले चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा. अरुणाचल प्रदेश में सबसे पहले पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा. 
 *देश के इन हिस्सों में दिखेगा आंशिक चंद्र ग्रहण* 
पूर्वोत्तर के क्षेत्रों को छोड़कर भारत के अधिकांश हिस्सों में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई देगा.

दुनिया में यहां देखा जा सकेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण
एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, उत्तरी पूर्वी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश हिस्से में साल का आखिरी चंद्र ग्रहण का नजारा दिखाई देगा.
 *यहां नहीं दिखेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण* 
08 नवंबर को दक्षिणी पश्चिमी यूरोप और अफ्रीका में ग्रहण दिखाई नहीं देगा .

चंद्र ग्रहण का सूतक काल कितने बजे से होगा शुरू
वैदिक ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य ग्रहण होने पर सूतक काल ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले जबकि चंद्र ग्रहण होने पर 9 घंटे पहले से सूतक शुरू हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण पर सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता है. सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्य वर्जित होता है. 08 नवंबर को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से सूतक काल आरंभ हो जाएगा जो ग्रहण की समाप्ति के साथ खत्म हो जाएगा.

चंद्र ग्रहण में क्या न करें
चंद्र ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए.
चंद्र ग्रहण के दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए.
चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए. 
चंद्रग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए.

चंद्र ग्रहण में क्या करें
ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए.
ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए.
ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए चंद्रमा से जुड़े हुए मंत्रों का जाप करना चाहिए.
ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.

चंद्रग्रहण पर गर्भवती महिलाएं बरतें ये सावधानियां 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए. गर्भवती महिलाओं को न तो ग्रहण देखना चाहिए और न ही ग्रहण के दौरान घर से बाहर जाना चाहिए. ग्रहण के दौरान अगर गर्भवती महिलाएं सूर्य ग्रहण देखती हैं या फिर बाहर निकलती हैं तो गर्भ में पल रहे नवजात शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है.  ज्योतिष के नजरिए से ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा पर बुरे ग्रह राहु-केतु का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है. इस कारण से बच्चे की कुंडली में इन ग्रहों से संबंधित कोई न कोई दोष हो सकता है. 
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं बाहर जाने से बचें.
गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए.
गर्भवती महिलाएं ग्रहण शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद स्नान अवश्य करें.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कोई भी नुकीली चीज का प्रयोग करने से बचना चाहिए.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोने से बचना चाहिए.
 *हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा व्रत , सत्यनारायण व्रत 8 नवम्बर 2022 के दिन रखा जाएगा।*
*8 तारीख को पूर्णिमा व सत्यनारायण का व्रत करने वाले सदस्य सुबह 6:19 से पहले स्नान अवश्य कर के कथा कहकर व्रत शुरू कर दें. व्रत समाप्ति के समय चंद्रग्रहण भी समाप्त हो चुका होगा... उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर के व्रत खोल सकते हैं।* 

चन्द्रग्रहण में क्या करें, क्या न करें 

 *चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है. श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले. ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है.
 *सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है.
*सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए. बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।*
 *ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते. पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए.
 *ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।*
 *ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए. स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।*
*ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।*
 *ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।*
*ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए. ग्रहण के स्नान में गरम जल की  अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।*
 *ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।*
 *ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए. बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए. ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।*
 *ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।*
 *ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सुअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है. गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।*
 *तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।*
 *भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है. यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।'*
 *ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।*
 *ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है. (स्कन्द पुराण)*
 *भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।(देवी भागवत)*
 *अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24)*

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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