स्कन्द पुराण वर्णित मंगल स्त्रोत का पाठ करने से अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती

स्कन्द पुराण वर्णित मंगल स्त्रोत का पाठ करने से अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती

प्रेषित समय :21:37:08 PM / Mon, Nov 14th, 2022

मंगल शांति के उपाय 
मंगलवार को “सुन्दरकाण्ड” एवं “बालकाण्ड” का पाठ करना लाभकारी होता है |
श्री स्कन्द पुराण में वर्णित “मंगल स्त्रोत” का नित्य श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है. 
क़र्ज़ की स्थिति में “ऋण मोचक मंगल स्तोत्र“ का नित्य पाठ कारगर साबित होता है.
अधिक क़र्ज़ की स्थिति  में “ऋण मोचक मंगल अनुष्ठान” ही अचूक उपाय है. 
“माँ मंगला गौरी“ की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है |
कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुष्प्रभाव में लाभ मिलता है |
भगवान शिव की स्तुति करें.
ज्योतिषीय परामर्श के बाद मूंगे को धारण करें.
तांबा, सोना, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल, केशर, कस्तूरी , लाल बैल, मसूर की दाल, भूमि आदि का दान.
मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा मंगल यंत्र की नियमित पूजा अर्चना करें.
मंगल दोष द्वारा यदि कन्या के विवाह में विलम्ब होता हो तो कन्या को शयनकाल में सर के नीचे हल्दी की गांठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह गुरुवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए |
मंगलवार के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने एवं “हनुमान चालीसा“ का पाठ करने से व हनुमान जी को सिन्दूर एवं चमेली का तेल अर्पित करने से मंगल दोष शांत होता है |
“महामृत्युजय मंत्र“ का जप हर प्रकार की बाधा का नाश करने वाला होता है, महामृत्युजय मंत्र का जप करा कर मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक व दांपत्य जीवन में मंगल का कुप्रभाव दूर होता है |
यदि कन्या मांगलिक है तो मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए विवाह से ठीक पूर्व कन्या का विवाह शास्त्रीय विधि द्वारा प्राण प्रतिष्ठित श्री विष्णु प्रतिमा से करें, तत्पश्चात विवाह करे |
यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं.
कठिन परिस्थितियों में “वैदिक मंगल शांति अनुष्ठान“ ही लाभदायक होता है.
दूषित मंगल के लक्षण और उससे जनित रोग –
मंगल के दुष्प्रभाव के कारण जातक को जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. अशुभ या पीड़ित मंगल के लक्षण :
रक्त सम्बंधित रोग
मस्तिष्क ज्वर
अल्सर
कष्टपूर्ण वैवाहिक जीवन
संतान से सुख में कमी आजीवन रहती है.
मानसिक रूप से कष्ट
तनावपूर्ण जीवन  
आत्म विश्वास और साहस में कमी,
अधिक उत्तेजना  
मंगल के अशुभ प्रभाव वश दुर्घटनाएं आदि भी होती रहती है.
बिना ज्योतिषी के परामर्श प्रयोग करने से लाभ की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता हैं ग्रहों की स्थिति अनुसार ही उपचार करना श्रेष्यकर है |

आचार्य वासुदेव तिवारी
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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