राशि और लग्न के अनुसार मूंगे का व्यवहार

राशि और लग्न के अनुसार मूंगे का व्यवहार

प्रेषित समय :20:18:39 PM / Wed, Nov 23rd, 2022

• 12 राशियों के अनुसार मूंगा धारण करने पर विभिन्न व्यवहार करता है- 
*  मेष लग्न में मंगल लग्न का स्वामी होता है. अतः मेष लग्न के जातक को आजीवन मूंगा धारण करना चाहिए. इससे आयु वृद्धि ,स्वास्थ्य लाभ एवं मान सम्मान बढ़ता है. मूंगा का धारक हर तरह से सुखी संपन्न एवं समृद्ध होता है.
*  वृष लग्न में मंगल सप्तम एवं  द्वादश भाव का स्वामी है. अतः इस लग्न के व्यक्तियों को मूंगा नहीं पहनना चाहिए.
*  मिथुन लग्न में मंगल षष्टम व एकादश भाव का स्वामी होता है. ऐसी स्थिति में इस लग्न के जातक को मंगल की महादशा में मूंगा नहीं धारण करना चाहिए. क्योंकि मिथुन लग्न के स्वामी बुध और मंगल के बीच परम शत्रुता है.
*   कर्क लग्न में मंगल नवम व दशम भाव का स्वामी है. यह श्रेष्ठ योग है. ऐसी स्थिति में मंगल इस लग्न के जातकों का कारक ग्रह बनकर अत्यधिक लाभ पहुंचाता है. यदि मूंगे का लग्नेश चंद्र के रत्न मोती के साथ पहनना पहना जाए तो अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है.

*   सिंह लग्न में मंगल चतुर्थ व नवम भाव का स्वामी होता है. इस तरह सिंह लग्न में मंगल योगकारक ग्रह माना जाता है. यदि ऐसे जातक मूंगा धारण करें तो उन्हें मानसिक शांति, ग्रह, भूमि एवं धन लाभ, मात्र सुख, मान सम्मान तथा यश-कीर्ति प्राप्त होती है. यदि मूंगे को माणिक्य के साथ धारण किया जाए तो अधिक लाभकारी होगा.
*   कन्या लग्न में मंगल तृतीय व अष्टम भाव का स्वामी है. यह दोनों भाव अशुभ होते हैं. अतः कन्या लग्न वाले व्यक्तियों को मूंगा कभी नहीं धारण करना चाहिए.
* तुला लग्न में मंगल द्वितीय व सप्तम भाव का स्वामी होता है. दोनों ही भाव मारक माने गए हैं. इसलिए इस लग्न वाले लोग मुंगा धारण ना करें.
*   वृश्चिक लग्न में मंगल लग्नेश होता है. अतः वृश्चिक लग्न वाले व्यक्तियों के लिए मूंगा पहनना उत्तम होगा.
*   धनु लग्न में मंगल पंचम त्रिकोण और द्वादश भाव का स्वामी है. कुंडली में पंचम व नवम भाव त्रिकोण कहलाते हैं. इस प्रकार धनु लग्न में मंगल शुभ माना गया है. अतः इस के जातक को मूंगा धारण करने से संतान सुख, यश कीर्ति, मान-सम्मान, बुद्धि वृद्धि तथा भाग्योदय होता है. मंगल की महादशा में मूंगा पहनना विशेष लाभदायक होता है.
* मकर लग्न में मंगल चतुर्थ भाव का स्वामी होता है. यदि इस लग्न का स्वामी चतुर्थ स्थान में स्थित हो तो जातक को मूंगा पहनना शुभ रहता है. यदि अष्टम या अधिपति द्वादश भाव में स्थित हो तो मूंगा धारण करना श्रेयस्कर होगा.
*  कुंभ लग्न में मंगल तृतीय तथा दशम भाव का स्वामी होता है. यदि मंगल दशम स्थान अर्थात वृश्चिक राशि पर स्थित हो तो मंगल की महादशा में मूंगा धारण करना चाहिए. सामान्यतः कुंभ लग्न के जातकों के लिए मूंगा धारण करना लाभकारी नहीं होता.
*  मीन लग्न में मंगल द्वितीय व नवम भाव का स्वामी है. अतः मंगल इस लग्न के लिए शुभ ग्रह माना गया है. ऐसे जातकों द्वारा मूंगा पहनना अत्यंत लाभप्रद होता है. 
*मेष राशि - चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ .
* वृश्चिक राशि - तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यू, य .
मंगल का मंत्र - 
ॐ अं अंगारकाय नमः
* मूंगे के साथ यह रत्न नहीं पहने- नीलम ,गोमेद, लसुनिया ओर हीरा .
• कोई से भी रत्न मन से ना पहने. अपनी राशि या जन्मकुण्डली के अनुसार पहनना ही अति उत्तम रहता हे.
मूंगे का धारक कौन
 • यदि जन्म कुंडली में मंगल कमजोर और अस्त  हो तो मूँगा  धारण करना  अधिक लाभकारी होता है. अच्छे घाट का मूंगा पहनने से मन प्रसन्न रहता है. बालक को पहनाने से (गले या बाहों ) में पेट दर्द का सूखा रोग नहीं होता. हृदय रोग के लिए भी मूंगा लाभकारी होता है.  जब सूर्य मेष राशि में हो अर्थात 15 अप्रैल से 14 मई तक अथवा जिनका जन्म 15 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच हुआ हो ,उनको मूंगा  अवश्य पहनना चाहिए. इसके अलावा मंगल की निम्नलिखित स्थितियों में मूंगा धारण करना उत्तम होगा ‐
*  अगर कुंडली में मंगल राहु और शनि के साथ कहीं भी स्थित हो तो मूंगा पहनना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है.
*   यदि मंगल प्रथम भाव में स्थित हो तो मूंगा धारण करना लाभकारी होगा.
*  अगर मंगल तीसरे स्थान पर हो तो भाई बहनों में मतभेद होता है इसे दूर करने के लिए मूंगा पहनना चाहिए.
*   यदि कुंडली में मंगल चतुर्थ भाव में हो तो जीवन साथी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है अतः ऐसे जातक मूंगा अवश्य पहने.
*   जिनमें आत्मविश्वास की कमी है वह मूंगा अवश्य पहनें.
*   जिन्हें हमेशा डर भय बना रहता है वह मूंगा अवश्य धारण करें.
*   कुंडली में  सप्तम या द्वादश भाव  मैं हो तो जीवन साथी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है .अतः ऐसे जातक मूंगा अवश्य पहने.
*   यदि कुंडली में धनेश मंगल नवम भाव में, चतुरेश मंगल एकादश भाव में या पंचम भाव का स्वामी मंगल द्वादश भाव में स्थित हो तो मूंगा पहनना अत्यंत लाभकारी होता है.
* यदि कुंडली मैं नवमेश मंगल चतुर्थ स्थान में तथा दशमेश मंगल पंचम या एकादश भाव में हो तो ऐसे में मूंगा पहनना लाभकारी होता है.
*   अगर कुंडली में मंगल कहीं भी स्थित हो और उसकी दृष्टि सप्तम, दशम या एकादश भाव पर हो तो मूंगा धारण करना लाभदायक होगा.
*  अगर  मेष या वृश्चिक लग्न मैं मंगल  छठे भाव में हो, धनेश मंगल सप्तम भाव में, चतुर्तेश मंगल नवम भाव में, पंचमेश मंगल दशम भाव में, सप्तमेश मंगल द्वादश भाव में, नवमेष मंगल धन स्थान में, दशमेश मंगल तीसरे भाव में या एकादशेष मंगल चौथे भाव में हो तो मूंगा धारण करना अत्यंत लाभकारी होगा.
* यदि मंगल कुंडली के छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव में स्थित हो तो मूंगा पहनना अति लाभकारी होता है.
*   यदि कुंडली में मंगल की दृष्टि सूर्य पर पढ़ रही हो तो मूंगा पहनना अति लाभकारी होता है.
* अगर मंगल चंद्रमा के साथ हो तो इस रत्न को पहनने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है.
*  यदि कुंडली में मंगल षटम या अष्टमेश के साथ हो अथवा इन ग्रहों की दृष्टि मंगल पर पढ़ रही हो तो मूंगा धारण करने पर लाभ होता है.
*  अगर कुंडली में मंगल वक्री, अस्त या प्रथम स्थान में हो तो मूंगा पहनकर फायदा उठाया जा सकता है.
* अगर जन्मकुंडली मैं मंगल शुभ भावों का स्वामी होकर शत्रु ग्रहों के साथ हो तो उसे शक्तिशाली बने बनाने के लिए मूंगा धारण करना लाभकारी होता है.
*  जो भी व्यक्ति पुलिस ओर मिलेट्री मे अपनी सेवा दे रहे उनके लिये मूँगा लाभकारी होगा.
*   सिविल इंजीनियर , बिल्डर ओर भूमि सम्बंधित कार्य करते हे उनके लिये भी मूँगा लाभकारी होता हे.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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