नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों वाले 10 नामों को वापस करने के बाद अब दो नामों को मंजूरी दे दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट में जज के रूप में दो सीनियर एडवोकेट्स को प्रमोट कर दिया गया है. सोमवार को कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी में देरी से जजों के प्रमोशन पेंडिंग होने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणियां की थीं.
इन दो नामों को सुप्रीम कोर्ट ने दी थी मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों वाले नामों में केंद्र सरकार ने दो नामों को मंजूर कर लिया है. केंद्र ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दो जजों को नियुक्त कर दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट में अधिवक्ता संतोष गोविंदराव चपलगांवकर और मिलिंद मनोहर सथाये को जज के रूप में प्रमोट कर दिया गया है.
10 फाइलों को केंद्र ने किया वापस
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश वाले जजों के प्रमोशन की दस फाइल्स को केंद्र सरकार ने नामंजूर करते हुए बीते 25 नवम्बर को वापस कर दिया था. केंद्र ने जिन फाइलों को लौटाया है उसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीएन किरपाल के पुत्र सीनियर एडवोकेट सौरभ किरपाल का नाम भी शामिल है. कॉलेजियम ने कुछ नामों को दोबारा भेजे थे, उनमें से भी तमाम फाइलें लौटा दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजों की पदोन्नति के लिए केंद्र सरकार के पास सिफारिश करते हुए नाम भेजे हैं लेकिन वह फाइल्स काफी समय से लंबित है. केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू काफी बार कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल खड़े कर चुके हैं. उधर, कॉलेजियम की सिफारिश की समय सीमा बीतने के बाद भी नियुक्ति अटकी पड़ी है. नियुक्तियों को लेकर अनिवार्य समय सीमा की जानबूझकर अवज्ञा का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस मामले को जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच सुनवाई कर रही. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक नियुक्तियों के लिए केंद्रीय मंजूरी में देरी को लेकर अपनी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि एक बार जब कॉलेजियम एक नाम को दोहराता है तो उसका मतलब होता है कि केंद्र उसे मंजूरी दे दे लेकिन नामों को इस तरह लंबित रखना सिस्टम के लिए सही नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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