हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री के नाम पर पेंच फंसा हुआ है. आलाकमान विधायकों की संख्या के समर्थन के आधार पर सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने के हक में है, लेकिन वीरभद्र सिंह का परिवार सुक्खू को सीएम बनाने के हक में नहीं और जिद पर अड़ा है. इसी को लेकर शिमला के ओबरॉय होटल में केंद्रीय पर्यवेक्षकों भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भूपेश बघेल और हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला के साथ हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह और पिछली विधानसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और कुछ विधायकों की बैठक जारी है.
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया कि चुनाव में जीते तीन निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस का समर्थन करेंगे. वहीं सुक्खू ने एक और बड़ा दावा ठोंका. उन्होंने कहा कि बीजेपी विधायक भी टूटेंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी कहा कि सीएम पद को लेकर फैसला पार्टी हाईकमान करेगा. पार्टी की तरफ से जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, वह बखूबी निभाऊंगा.
बता दें, मुख्यमंत्री पद के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जो दावा किया है, उसे नजरअंदाज करना आलाकमान के लिए भी आसान नहीं हो रहा है. सुखविंदर सिंह सुक्खू पिछले 40 साल से कांग्रेस में जुड़े हैं. हाईकमान और संगठन में उनकी गहरी पहुंच है. तीसरी बार विधायक बन चुके हैं. इसके साथ ही राज्य में जनता के बीच भी उनकी गहरी पकड़ है.
इस विधानसभा चुनाव में भी सुखविंदर सिंह सुक्खू की चुनावी रणनीति का असर दिखा. उन्होंने अपने गृह जिले हमीरपुर में पहली बार पांच में चार सीटें कांग्रेस की झोली में डाल दीं. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता और हमीरपुर जिले को बीजेपी मुक्त कर दिया. ऐसा माना जा रहा है कि उनके साथ काफी तादाद में कांग्रेस के विधायक हैं. यही कारण है कि उनका इस पद पर किए गए दावे में काफी दम है.
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