नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प सामने आई थी. दरअसल, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे. भारतीय सैनिकों के हस्तक्षेप के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा. साथ ही साथ चीन सैनिकों की जमकर पिटाई भी की. इस बीच घबराए ड्रैगन ने एलएसी के करीब टीएआर क्षेत्र के शीगत्से में लड़ाकू विमान तैनात किए हैं. यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है.
तवांग में अगर इंडियन आर्मी की तैयारी पूरी नहीं होती तो चीन बड़ी बड़ा हमला कर सकता था. चीनी सेना के नापाक इरादों की पूरी पोल खुल चुकी है. 9 दिसंबर को दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई और अगले ही दिन चीन अरुणाचल प्रदेश से सटे एलएसी के दूसरी तरफ तिब्बत के शीगत्से एयरबेस पर कई खतरनाक हथियार तैनात कर दिए. अमेरिकी रक्षा वेबसाइट वॉर जोन की तरफ से एक सैटेलाइट तस्वीर पोस्ट की गई है. इस तस्वीर ने ड्रैगन के खतरनाक इरादों का पूरा सच सामने ला दिया.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी पेंटागन ने जो बात एक साल पहले कही थी वो आज जाकर सच साबित हुई है. चीन की नजर केवल पूर्वी लद्दाख इलाके में नहीं बल्कि अरुणाचल प्रदेश पर भी बरकरार है. अमेरिकी रक्षा वेबसाइट वॉर जोन की तरफ से ट्वीट किया गया. जैसे ही इस ट्वीट को समझा गया वो होश उड़ गए. चीन किस तरह से भारत पर हमले की पूरी साजिश रच रहा है उसका पर्दाफाश हो गया है. चीन ने एलएसी के दूसरी तरफ तिब्बत के शीगत्से एयरबेस पर खतरनाक हथियार तैनात कर रखे हैं. सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर वॉरजोन ने बताया कि यहां पर ड्रोन से लेकर, फाइटर जेट्स, रि-फ्यूलर्स, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम तक मौजूद हैं. इस बेस पर पिछले कई सालों से लड़ाकू विमान तैनात हैं. एयरबेस अब एयरस्पेस सर्विलांस से भी लैस है.
इस एयरबेस की बात करें तो ये बिल्कुल अरुणाचल से लगा हुआ है. ये तिब्बत का पांचवा एयरपोर्ट है जो सैन्य और असैन्य दोनों ही मकसद से प्रयोग हो रहा है. चीन इसका इस्तेमाल इसीलिए करता है कि किसी को उसकी तैयारी के बारे में कोई जानकारी न हो पाए, जबकि सच ये है कि चीन सबसे ज्यादा मिलिट्री के लिए ही इसका इस्तेमाल करता है. शीगत्से तिब्बत का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी है. इस एयरपोर्ट का निर्माण 1968 में शुरू हुआ और 1973 में यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था. साल 2010 तक इसका इस्तेमाल सिर्फ सेना करती थी लेकिन बाद में युआन के साथ इसका विस्तार दिया गया. चीन इसका इसी तरह इस्तेमाल करता है जैसे कोई चोर नकाब का करता है. दुनिया को ये भ्रम रहे कि वो एयरपोर्ट है लेकिन उसमें चीन एयरबेस बनाए हुए हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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