कई लोग सोचते होंगे कि स्टीम बाथ और सॉना बाथ एक ही होते हैं. हालांकि, यह सच नहीं है, भले ही इन दोनों में हीट देने की प्रक्रिया हो, लेकिन इनके हीट में काफी फर्क होता है. स्टीम रूम सॉना के जैसा ही होता है. इनके बीच बड़ा अंतर उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली गर्मी है. जहां सॉना में ड्राई हीट यानी आमतौर पर गर्म चट्टानों या बंद स्टोव से लिए जाने वाले हीट का उपयोग किया जाता है. वहीं, स्टीम रूम को उबलते हुए पानी से बनने वाले भाप से गर्म किया जाता है. जहां सॉना ड्राई होता है, वहीं स्टीम में मॉइस्चर हीट होता है और स्टीम ह्यूमिडिटी को बरकरार रखती है. सॉना या स्टीम बाथ लेने से आपकी मांसपेशियां रिलैक्स हो सकती हैं. इसके अलावा, हीट थेरेपी से मेटाबोलिज्म में सुधार, वेट लॉस, बेहतर हृदय स्वास्थ्य, दर्द कम होना, इम्यून सिस्टम बेहतर और त्वचा स्वास्थ्य में सुधार होने जैसे फायदे हैं. इसके अलावा भी कुछ अन्य लाभ इस प्रकार है:-
- बेहतर ब्लड सर्कुलेशन हो सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सकता और हृदय स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है.
- बंद नाक, सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, गले की खिचखिच से आराम मिल सकता है.
- तनाव से राहत मिल सकती है.
- जोड़ों के दर्द या अकड़न से राहत.
- कैलोरी बर्न करने में और वजन संतुलित रखने में मददगार है.
सावधानियां
यह सच है कि स्टीम या सौना बाथ के कई फायदें है. हालांकि, कुछ नुकसान भी हैं. इसलिए बेहतर है इससे जुड़ी सावधानियों का भी ध्यान रखें.
- ज्यादा देर तक सॉना या स्टीम बाथ न लें.
- स्टीम या सॉना के दौरान अगर कभी भी परेशानी हो तो तुरंत बाथ लेना बंद करें .
- सॉना या स्टीम लेते समय अपने नाजुक अंगों को तौलिये से ढककर रखें.
- गर्भवती महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के स्टीम या सॉना बाथ न लें.
- किसी और के साबुन व तौलिये के उपयोग से बचें.
स्टीम या सॉना को अगर सही तरीके से लिया जाए तो इसके फायदों का लाभ उठाया जा सकता है. लेकिन सावधानियों को ध्यान में रखते हुए इससे शारीरिक लाभ लिए जा सकते हैं.
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