नई दिल्ली. साल 2022 में चारधाम यात्रा पर रिकॉर्ड तीर्थयात्री उत्तराखंंड आए. राज्य के पर्यटन को इसका उम्मीद के मुताबिक अच्छा लाभ और राज्य के राजस्व में भी इजाफा हुआ लेकिन इसका नुकसान कहीं न कहीं यहां के पारिस्थितिकी तंत्र को भी झेलना पड़ रहा है. इसका खामियाजा कहीं न कहीं जोशीमठ को भी भुगतना पड़ रहा है. कहीं न कहीं अंंधाधुंध निर्माण और कुप्रंबधन भी इसके कारण हैं.पिछले साल अप्रैल से नवंबर के बीच 23 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चार धाम स्थलों का दौरा किया. बुनियादी ढांचे की भारी कमी के साथ चारधाम यात्रा पर लगातार बढ़ रही तीर्थयात्रियों की संख्या जोशीमठ पर आए खतरे का सबब हैं. इस बात को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की एक समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में कई गंभीर सवाल उठाए हैं.
चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों और खच्चरों, घोड़ों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण “उत्तराखंड के संवेदनशील और समृद्ध जैव विविधता क्षेत्रों में और पवित्र तीर्थ स्थलों के आसपास होने वाली पारिस्थितिक क्षति” की जांच के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की एक समिति बनाई गई, जिसकी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बाते सामने आई हैं.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित एक संयुक्त समिति ने पाया है कि चारधाम यात्रा क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन और बुनियादी ढांचे का अभाव है.संयुक्त समिति की रिपोर्ट में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब चार तीर्थ मार्गों का मूल्यांकन किया गया. ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण के कुप्रबंधन और पीक सीजन के दौरान तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की भारी संख्या से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे की भारी कमी के संबंध में समिति द्वारा तीखी टिप्पणियां की गईं हैं.
रिपोर्ट में, संबंधित तीर्थ इलाकों की जिला पंचायतों द्वारा निष्पादित एक सामान्य तरीके से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का घोर उल्लंघन करना, नगर पालिका ट्रेंचिंग क्षेत्रों में ठोस और प्लास्टिक कचरे को डंप करने को भी उजागर किया गया है. शौचालय जिनमें पानी सोखने वाले गड्ढे होते हैं, सार्वजनिक शौचालयों की अपर्याप्त संख्या, रास्तों को साफ करने के लिए लोगों (स्वीपर) की कमी, घोड़ों के गोबर, अपशिष्ट जल और घोड़ों के शवों से निपटने के लिए निपटान तंत्र की कमी और घोड़ों की संख्या के नियमन की समग्र कमी को सामने रखा गया.
संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कार्रवाई योग्य उपायों की सिफारिश की है, जिसमें- क्षेत्र की वहन क्षमता के अनुरूप घोड़े के प्रवेश को नियमित करना, घोड़े के स्वास्थ्य का प्रबंधन और निगरानी करना, घोड़े की देखभाल करने और पशु दुर्व्यवहार को रोकने के लिए पशु चिकित्सकों की एक टीम का प्रावधान, घोड़े के आवास की स्थापना करना.
Source : palpalindia
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