सर्दी में कॉफी या चाय की क्रेविंग बढ़ गई है तो सतर्क हो जाएं

सर्दी में कॉफी या चाय की क्रेविंग बढ़ गई है तो सतर्क हो जाएं

प्रेषित समय :12:02:18 PM / Tue, Jan 17th, 2023

कई लोगों को बिस्तर से उठने का मन नहीं करता. सर्दियों के मौसम में लोग खाते भी ज्यादा है. अधिकांश लोगों को सर्दियों के मौसम में अच्छी चीजों को खाने की क्रेविंग बढ़ जाती है. पर सबसे ज्यादा तलब चाय, कॉफी की होती है. लेकिन सर्दियों में चाय, कॉफी का ज्यादा सेवन सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है. दरअसल, सर्दियों में चाय, कॉफी का ज्यादा सेवन डिहाइड्रेशन को बढ़ा सकता है जिससे पेट से संबंधित परेशानियां पैदा हो सकती है. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि चाय-कॉफी का ज्यादा सेवन आंत में आयरन को अवशोषित करने से रोकता है. इससे व्यक्ति एनीमिक हो सकता है. यानी शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है जिसके कारण ऑक्सीजन शरीर के विभिन्न हिस्से तक पहुंचने में दिक्कत हो सकती है.

ज्यादा चाय, कॉफी कैसे आयरन को रोकती है
एमसीगिल वेबसाइट के मुताबिक कॉफी और कैफीन दोनों में पॉलीफेनॉल केमिकल होता है. पॉलिफेनॉल आयरन जैसा ही कंपाउड है. पॉलीफेनोल अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण जाना जाता है. लेकिन पॉलीफिनॉल आयरन को खुद में चिपका लेता है. इसका मतलब यह हुआ कि जब आंत में भोजन से आयरन अवशोषित हो रहा होता है, अगर तब कॉफी या चाय का सेवन किया जाए तो इसमें मोजूद पॉलीफेनॉल आयरन के साथ चिपक जाएगा और यह आयरन का सिंथेसिस नहीं होने देगा. यही कारण है कि चाय, कॉफी का ज्यादा सेवन सर्दियों में आयरन को अवशोषित होने से रोकता है. इस कारण लोगों को सर्दियों में बहुत ज्यादा चाय, कॉफी पीने की सलाह नहीं दी जाती है.

नींद के पैटर्न को भी बिगाड़ देती है ज्यादा चाय, कॉफी
दूसरी ओर हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिन में 710 मिलीलीटर से ज्यादा कॉफी का सेवन एनीमिया का कारण बन सकता है. चूंकि कैफीन पाचन क्रिया को प्रभावित करती है जिससे शरीर में आयरन की कमी हो जाती है और एनीमिया का जोखिम बढ़ जाता है. एनीमिया होने पर स्ट्रेस और एंग्जाइटी होने लगती है. चाय के एक कप में 11 से 61 मिलीग्राम कैफीन होती है. यही कारण है यह एंग्जाइटी को बढ़ा देती है. इसके साथ ही चाय या कॉफी का ज्यादा सेवन सिर दर्द को भी बढ़ाता है. एक अध्ययन के मुताबिक कैफीन नींद वाले हार्मोन मेलाटोनिन को भी बनने से रोकता है जिसकी वजह से नींद आने में परेशानी होती है. इसलिए यह नींद के पैटर्न को बिगाड़ देता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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