दिल्ली. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान यूपी सरकार ने आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध किया, वहीं पीडि़त पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने भी इस मामले के आरोपियों को जमानत नहीं देने की वकालत की. हालांकि, इस बात पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया और कहा कि आरोपियों की जमानत पर कोर्ट विचार नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा? दुष्यंत दवे की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम मूकदर्शक बने रहें?
सुनवाई के दौरान जब पीडि़त पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जघन्य अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट को आरोपियों को जमानत नहीं देनी चाहिए तो इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तो क्या हम मूकदर्शक बने रहें. कानून के तहत जमानत की मांग की सुनवाई करना और निर्णय देना हमारी शक्ति के तहत है. आप दायरे का ख्याल रखें. इसके बाद दुष्यन्त दवे ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. आरोपी और उसके मंत्री पिता ने पीडि़तों को डराया-धमकाया है.
इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के पिता मंत्री हैं, लेकिन आरोपी नहीं हैं इस मामले में. दुष्यंत दवे ने कहा कि मंत्री पिता को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में आरोपियों की जमानत पर कोर्ट विचार नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा. उनका भी अधिकार है अपनी बातों को रखने का. बता दें कि इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले ट्रॉयल शुरू हो गया है और इस मामले में कुछ और आरोपी जेल में हैं.
आशीष मिश्रा की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आशीष मिश्रा पिछले एक साल से जेल में है. एक बार उसको जमानत मिली, फिर सुप्रीम कोर्ट ने बेल खारिज कर दी. इस मामले में 400 से ज्यादा गवाह हैं, जिनका बयान होना है. ऐसे में 5 साल तक ट्रायल चलेगा और ऐसे में मेरे क्लाइंट का क्या होगा? आशीष मिश्रा के वकील ने कहा कि दूसरा एफआईआर जो दर्ज किया गया है, उसमें आरोपों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है. इस मामले में कोई चश्मदीद सामने नहीं आया है. यूपी सरकार की तरफ से बताया गया कि इस मामले 4 आरोपियों की जमानत का ट्रायल कोर्ट में विरोध किया है. यूपी सरकार के वकील ने कहा कि आशीष मिश्रा को जमानत न दिया जाए, हम उनकी जमानत का विरोध कर रहे हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोटज़् ने इस मामले में यूपी सरकार से पूछा कि जब चार्जशीट फाइल हो चुकी है, चार्ज फ्रेम हो चुका है तो ऐसे में जमानत के पहलू पर बहस करें. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में जमानत के विरोध की कोई नई बात बताओ. सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले में आशीष मिश्र को जमानत न दिया जाए. लखीमपुर की घटना बहुत पीड़ा वाली थी और यह गंभीर मामला है. अगर आशीष मिश्र को जमानत दिया जाता है तो समाज मे इसका गलत संदेश जाएगा. वहीं दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत मिलती है तो मैं अपने 44 साल के अनुभव से कहता हूं कि निचली अदालत में मुकदमा सही दिशा में नहीं चल पाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Joshimath: खतरनाक मकानों-इमारतों को ढहाने का काम शुरू, सुप्रीम कोर्ट 16 जनवरी को करेगा सुनवाई
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