जम्मू-कश्मीर के सभी मंदिरों का एक समृद्ध इतिहास है और इन शानदार मंदिरों की घंटियों से निकलने वाली आध्यात्मिक आभा दर्शनार्थियों को हर साल अपनी ओर आकर्षित करती है. इन मंदिरों का निर्माण उस जमाने के बेहतरीन शिल्पकारों ने किया था. इन मंदिरों के निर्माण के पीछे कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं जो उन्हें अपने आप में खास बना देती हैं.
रणबीरेश्वर मंदिर
जम्मू के सबसे प्रचलित मंदिरों में से एक है रणबीरेश्वर मंदिर (Ranbireshwar Temple), जहां भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जुटती है. यहां का शांत वातावरण और सुंदरता वाकई एक अजीब सा भक्तिभाव जगाता है. इस मंदिर का निर्माण शिव भक्त राजा रणबीर सिंह ने कराया था जिसके पीछे कई कहानियां दबी हैं. रणबीरेश्वर मंदिर जम्मू-कश्मीर सिविल सचिवालय के सामने ही स्थित है . मंदिर में बारह क्रिस्टल ‘लिंगम’ मौजूद हैं जो 12 से 18 इंच की ऊंचाई पर बने हैं. यह मंदिर शालीमार रोड पर स्थित है जो सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक सैलानियों के लिए खुला होता है.
रघुनाथ मंदिर
रघुनाथ मंदिर की विस्मयकारी वास्तुकला वाकई कमाल की है. जम्मू के मध्य में स्थित यह मंदिर एक मजबूत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बयां करता है. यह मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्री राम को समर्पित है. इस मंदिर के पास कई अन्य मंदिर भी हैं जो भारतीय महाकाव्य रामायण से संबंधित देवी-देवताओं को समर्पित हैं. इस मंदिर का निर्माण 25 साल में पूरा किया गया था और इसके मुख्य वास्तुकार महाराजा गुलाब सिंह और पुत्र महाराजा रणबीर सिंह थे. यह मंदिर जम्मू शहर के बीच में स्थित है. अगर आप यहां पहुंचना चाहते हैं तो फत्तू चौगान, पक्की ढाकी, मझिन पहुंचें. यहां आप सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक भगवान का दर्शन कर सकते हैं.
अमरनाथ मंदिर (पहलगाम)-
खड़ी और ऊंची पहाड़ियों से घिरा अमरनाथ मंदिर पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय तीर्थस्थलों में एक गिना जाता है. हर साल लाखों की तादात में लोग यहां शिव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. यह कश्मीर का सबसे पुराना मौजूदा मंदिर है जिसे 5वीं शताब्दी में बनाया गया था. यह मंदिर संकरी खाई में स्थित है जो समुद्र से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर है. हिंदू धर्म के प्रमुख धामों में से एक यह मंदिर बर्फ की प्राकृतिक रचना से तैयार हो जाता है जिसे जुलाई से अगस्त के महीने में देखा जा सकता है. हालांकि यहां पहुंचने के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है. यह श्रीनगर के पूर्वी क्षेत्र में बसा है जहां सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन किया जा सकता है. यहां का सबसे नजदीकी बस स्टैंड पहलगाम है जहां आप सड़क मार्ग से आसानी स पहुंंच सकते हैं.
वैष्णो देवी मंदिर-
वैष्णो देवी मंदिर तिरुपति मंदिर के बाद देश का दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला मंदिर है. यह मंदिर माता रति या वैष्णवी को समर्पित है. मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थ यात्रियों को 5200 फीट की ऊंचाई पर चलकर जाना पड़ता है. मंदिर की यात्रा के दौरान त्रिकुटा पहाड़ी के पास एक यात्री शिविर है. यह मंदिर हिमालय के एक गुफा में स्थापित है जहां आने जाने का एक मात्र साधन हेलीकॉप्टर है. पैदल यात्रा के अलावा तीर्थयात्री घोड़े की सवारी का सहारा ले सकते हैं. बता दें कि यहां पहुंचने के लिए आपको पहले जम्मू कटरा पहुंचना होगा. यह मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर 12 फिर शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला होता है.
शंकराचार्य मंदिर-
कश्मीर के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित शंकराचार्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इसे कश्मीर की प्राचीन वास्तुकला का सही नमूना कहा जा सकता है. यह मंदिर गोपादरी पहाड़ी पर स्थित है जो कई परतों के एक अष्टकोणीय बेसमेंट पर बना है. जिस वजह से मंदिर की नींव ठोस है. 371 ईसा पूर्व में निर्मित इस मंदिर के चारों तरफ खूबसूरत हिमालय की घाटियां दिखती हैं जो मनमोह लेती हैं. यह स्थान शंकराचार्य हिल पर मौजूद है जो श्रीनगर में है. यह मंदिर सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक सैलानियों के लिए खुला है.
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