उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर की एक बेशकीमती जमीन की खरीद-फरोख्त और एनआरआई के विरुद्ध साजिश रच करोड़ों रुपये हड़पने के मामले में एसीबी ने निलंबित डीएसपी जितेंद्र आंचलिया और सब इंस्पेक्टर रोशनलाल सहित रमेश राठौड़ तथा मनोज को गिरफ्तार किया है. इन्होंने एनआरआई नीरज पूर्बिया को इतना डराया कि वह अपनी ही जमीन को फिर से 1 करोड़ 83 लाख रुपये में खरीदने को तैयार हो गया. इस मामले में सब इंस्पेक्टर रोशनलाल ने 200000 की मांग की. इस पर नीरज पूर्बिया ने जयपुर एसीबी मुख्यालय जाकर इसकी शिकायत दर्ज कराई. शिकायत पर हरकत में आई एसीबी ने कार्रवाई करते हुए ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां की है. एसीबी ने शुक्रवार रात को उदयपुर और राजसमंद में कुल 5 जगह दबिश देते हुए राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी जितेन्द्र आंचलिया सहित चारों को गिरफ्तार कर लिया है.
नीरज पूर्बिया ने एसीबी को दी अपनी शिकायत में बताया कि वह कुवैत में रहने के दौरान अपने भाई निलेश को जमीन खरीदने के लिए रुपये भेजता था. उसने वर्ष 2007 में भुवाणा इलाके में 32000 स्क्वायर फीट का एक भूखंड खरीदा था. इस भूखंड के एक भाग को नीलेश ने अपनी पत्नी लवलीना को गिफ्ट कर दिया. बाद में जब 2019 में नीलेश की मृत्यु हो गई तब लवलीना उस भूखंड को बेचने का दबाव बनाने लगी. लगातार बन रहे दबाव के कारण नीरज कुवैत से उदयपुर आया. उसे बताया कि 5 करोड़ रुपये में भूखंड का बेचान करना है. इस दौरान एक फर्जी एग्रीमेंट बनाया गया. उस एग्रीमेंट के आधार पर सुखेर थाने में एनआरआई नीरज के खिलाफ षडयंत्र रचने का एक मामला दर्ज कराया गया.
सुखेर थाने में दर्ज हुए मामले को लेकर पूरी साजिश रची गई. उसी पर काम करते हुए सब इंस्पेक्टर रोशनलाल ने परिवादी को डीएसपी जितेंद्र आंचलिया से मिलने के लिए कहा. डीएसपी जितेंद्र आंचलिया ने परिवादी नीरज को गैर जमानती धाराओं में एफआईआर दर्ज होने का हवाला देते हुए डराया. पासपोर्ट जब्त कर पत्नी और बच्चों से भी मिलने के लिए तरस जाने की धमकियां दी. इस कहानी की स्क्रिप्ट पहले ही लिख दी गई थी. उसी पर काम करते हुए डीएसपी जितेंद्र आंचलिया ने दबाव बनाकर थाने में जबरन एक समझौता लिखवाया और परिवादी से साइन करवाए. इस समझौते में लवलीना को रुपये देकर वहीं जमीन फिर से खरीदनी थी, जो जमीन वास्तविकता में परिवादी नीरज की ही थी. अपनी ही जमीन खरीदने के लिए परिवादी को 1 करोड़ 83 लाख रुपये फिर से चुकाने पड़े.
इस बीच आगे की कार्रवाई के लिए जितेंद्र आंचलिया ने अंकित मेवाड़ा से मिलने के लिए कहा. परिवादी अंकित मेवाड़ा के साथ रमेश राठौड़ से मिला. यह एग्रीमेंट जितेंद्र आंचलिया ने करवाया था. उसे ही अंकित मेवाड़ा और रमेश राठौड़ ने दिखाकर जबरन परिवादी से उसी का भूखंड खरीदवाया. इसके एवज में अंकित मेवाड़ा ने 7100000 रुपए वसूले. रजिस्ट्री के समय जितेंद्र आंचलिया के कहे अनुसार 71 लाख रुपए चेक से और 4200000 रुपए नकद लवलीना और अंकित मेवाड़ा को दिए.
परिवादी नीरज ने एसीबी को बताया कि रुपये देने के बाद यह तय हुआ था कि एफआईआर में एफआर लगा दी जाएगी. लेकिन एफआर लगाने के लिए सब इंस्पेक्टर रोशनलाल ने 200000 की मांग कर दी. यही नहीं सब कुछ होने के बाद भी लवलीना ने कोर्ट में एफआर को चैलेंज कर दिया. हालांकि इसके तुरंत बाद परिवादी ने एसीबी की जयपुर मुख्यालय में शिकायत की. इस पूरे घटनाक्रम के बाद परिवादी नीरज ने डीएसपी जितेंद्र आंचलिया से उदयपुर के एक होटल में मुलाकात की. उस मुलाकात के दौरान बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग हुई. वह रिकॉर्डिंग एसीबी के सुपुर्द की गई. इस मामले में रिकॉर्डिंग एसीबी के पास होने के चलते ही भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया और उस पर कार्रवाई की जा रही है.
राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी डीएसपी जितेन्द्र आंचलिया पूर्व में उदयपुर में डीएसपी पद पर कार्यरत थे. उसके बाद गत वर्ष हुए कन्हैयालाल हत्याकांड के मामले में आंचलिया को निलंबित कर दिया गया था. लेकिन कुछ समय बाद आंचलिया फिर बहाल हो गए. इस बीच इस मामले की जांच शुरू हो गई तो आंचलिया को फिर निलंबित कर दिया गया. अब भ्रष्टाचार के मामले में आंचलिया को गिरफ्तार कर लिया गया है.
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