जन्म कुंडली में मंगल के दोष और उनके निवारण

जन्म कुंडली में मंगल के दोष और उनके निवारण

प्रेषित समय :22:00:35 PM / Mon, Mar 27th, 2023

मंगल सौरमंडल का चौथा ग्रह है. इसका रंग रक्त है. मंगल ग्रह उग्र अवश्य है. पर सिर्फ अशुभ नहीं. कुंडली में नवोग्रह भाव व संयोग की स्थिति के अनुसार शुभ और अशुभ फल देते हैं. मंगल भी भाव व युति के अनुसार उभय फल देता है. अतः मंगल के दोष और उनके निवारण पर चर्चा जरुर है.  
मंगल- प्रथम भाव में-
कुंडली के प्रथम भाव में यानि पहले खाने में मंगल हो तब जातक मे ये अशुभ लक्षण होते हैं-
1. जातक झूठा -मक्कार होता है.
2. भाइयों के लिए अनिष्टकारक होता है.
3. जातक पत्नी की मृत्यु अग्निसे होती है.
4. दो विवाह का योग बनता है.
5. जातक की पत्नी रुग्ण होती है.
6. जातक झगड़ालू होता है.
7. बारहवें में चन्द्र हो तब जातक दरिद्र होता है.
उपाय -
1. मंगल की शुभता हेतु हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें.
2. मिट्टी के घड़े में गुड़ डालकर मंगलवार को सुनसान स्‍थान में रख आएं.
3. लाल रंग के वस्त्रों का उपयोग करें.
4. मंगलवार का व्रत रखें.
5. सिद्ध मंगल यंत्र धारण करें.
मंगल-द्वितीय भाव में-
कुंडली के दूसरे भाव में मंगल.
निम्नलिखित अशुभता प्रदान करता है.
1. जातक 9 वर्षों तक रोग से पीड़ित रहे.
2. यदि जातक अपने भाइयों से छोटा है तो बड़े भाई की मृत्यु का योग बनता है.
3. विवाहित जीवन में पति-पत्नी में आपसी क्लेश बना रहेगा.
4. मंगल अशुभ हो तो जातक की मृत्यु लड़ाई-झगड़े में होने की आशंका रहती है.
उपाय-
1. दोपहर के समय बच्चों को फल बांटें.
2. मंगलवार का व्रत रखें.
3. लाल रूमाल सदैव अपने पास रखें.

मंगल-तृतीय भाव में-
कुंडली में तीसरे भाव में मंगल निम्न‍िलिखित अशुभतादेता है-
1. जातक शराबी होता है.
2. चालबाज एवं धोखेबाज होता है.
3. मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक ब्लड प्रेशर का रोगी हो सकता है.
उपाय -
1. चापलूस मित्रों से दूर रहें.
2. साढ़े पांच रत्ती मूंगा (रत्न) सोने की अंगूठी में जड़वाकर मंगलवार के दिन धारण करें.
3. मूंगा धारण करने की शक्ति (क्षमता) न हो तो 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करें.

कुंडली में चौथे भाव का मंगल नीचे लिखी अशुभता  देता है-

1. जातक मांगलिक होता है.
2. जातक संतानहीन हो सकता है.
3. जातक रोग से पीड़ित रहता है.
उपाय -
1. त्रिधातु की अंगूठी धारण करें.
2. 'सिद्ध मंगल यंत्र' गले में अथवा दाहिने बाजू पर धारण करें. 
3. देवताओं की मूर्तियां घर में स्‍थापित न करें.
मंगल-पंचम भाव में-
कुंडली के पांचवें भाव में मंगल नीचे लिखी अशुभता देता है. 
1. जातक पाप कर्म में लिप्त शराबी हो सकता है.
2. जीवन में अनेक परेशानियां आएंगी.
3. मिरगी का रोगी भी हो सकता है.
उपाय -
1. रात को सिरहाने तांबे के लोटे में पानी भरकर रखें और सुबह उस जल को पीपल के वृक्ष की जड़ में डाल दें.
2. आंगन में नीम का पेड़ लगाएं.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' गले में धारण करें या सवा पांच रत्ती मूंगा की अंगूठी बनवाकर दाहिने हाथ की उंगली में मंगलवार के दिन धारण करें.

मंगल-षष्टम् भाव में-
कुंडली के छठे भाव में मंगल निम्नलिखित अशुभता देता है.
1. जातक बवासीर या ब्लडप्रेशर का रोगी हो सकता है.
2. जातक कामुक स्वभाव होता है और पराई स्त्रियों पर बुरी नीयत रखता है.
3. मंगल छठे भाव में हो और बुध आठवें भाव हो तो जातक की छोटी उम्र में ही उसकी माता का देहान्त हो जाने की आशंका रहती है.
उपाय-
1. चार सूखे खड़कते ना‍रियल मंगलवार के दिन नदी में प्रवाहित करें.
2. मंगलवार के दिन हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाएं और पीले लड्डू का प्रसाद चढ़ाकर लोगों को बांटें.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करने से अशुभता का नाश होगा और शुभ फल मिलेगा.

 मंगल-सप्तम भाव में-
कुंडली के सातवें घर में मंगल नीचे लिखी अशुभता देता है.
1. जातक की स्त्री क्रोधी स्वभाव की होगी.
2. जातक स्वयं क्रोध के कारण अपना नुकसान कर लेता है.
3. जातक प्राय: पुत्रहीन होता है.
उपाय-
1. चांदी की ठोस गोली बनवाकर सदैव अपनी जेब में रखें.
2. मंगलवार के दिन लस्सी जरूर पियें.
3. लाल रूमाल अपनी जेब में रखें.

 मंगल-अष्टम भाव में-
कुंडली के आठवें भाव में मंगल निम्नलिखित अशुभ फल देता है.
1. आठवें भाव में बैठे मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक अल्प आयु वाला तथा दरिद्र होता है.
2. जातक के लिए 28 वर्षों तक मौत का फंदा बना रहता है.
3. मंगल आठवें भाव में हो और बुध छठे भाव में हो तो जातक की माता की मृत्यु जातक के बचपन में हो जाने की आशंका रहती है.
उपाय-
1. विधवा स्त्री की सेवा करें.
2. चांदी की चेन धारण करें.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' जरूर धारण करें..

मंगल-नवम भाव में-
कुंडली में नवम भाव में मंगल निम्न अशुभ प्रभाव देता है.
1. जातक क्रोधी स्वभाव का होता है.
2. विद्या अधूरी रहे.
3. जातक झूठा होता है.
4. ईमानदार हो फिर भी बदनामी मिलती है.
5. जीवन क्षेत्र में सफलता कम मिलती है.
6. स्त्री कमाई पर जीवन-यापन करता ह

उपाय-
1. मंगलवार को 21, 51 या 101 हनुमान चालीसा बांटें.
2. मंगलवार को हनुमानजी को सिंदूर एवं लड्डू चढ़ाएं.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करें.

 मंगल-दशम भाव में-
कुंडली के दसवें भाव मंगल निम्नलिखीत अशुभता देता है:
1. जातक को चोरी के आरोप में जेल जाना पड़ सकता है.
2. मंगल दसवें, सूर्य चौथे, बुध छठे खाने में हो तो जातक एक आंख का काना हो सकता है. 
3. मंगल के साथ कोई पापी ग्रह हो तो जातक बर्बाद हो जाता है. 
उपाय-
1. संतानहीन की सेवा करें.
2. घर में हिरण पालें.
3. मंगलवार को मीठा भोजन करें.

 मंगल-एकादश भाव में-
ग्यारहवें भाव में  मंगल निम्नलिखित अशुभता देता है.
1. जातक कर्जदार रहता है.
2. जातक की संतान झगड़ालू होती है.
3. जातक को मित्रों से धोखे मिलते हैं.
उपाय-
1. बिना जोड़ वाला सोने का छल्ला धारण करें.
2. काला कुत्ता पालें.
3. केसर का तिलक लगाएं.

मंगल-द्वादश भाव में-
कुंडली के बारहवें भाव में मंगल निम्नांकित अशुभ प्रभाव देता है.
1. शत्रुओं से हानि की आशंका.
2. लाभ से अधिक व्यय होगा.
3. घर में चोरी होने का भय.
उपाय- 
1. चाँदी की चेन धारण करें.
2. लाल रूमाल सदैव अपने पास रखें.
3. एक किलो बतासे मंगल के दिन बहते जल में प्रवाहित करें.

मंगल का पहला अशुभ योग
*किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है।*
*अक्सर यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है।*
*इसके चलते लोगों को सर्जरी और रक्त से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।*
*अंगारक योग इंसान का स्वभाव बहुत क्रूर और नकारात्मक बना देता है।*
*इस योग की वजह से परिवार के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं।*
*मंगलवार का व्रत रखने के साथ भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय की उपासना करें।*
*मंगल का दूसरा अशुभ योग*
*अंगारक योग के बाद मंगल का दूसरा अशुभ योग है मंगल दोष. यह इंसान के व्यक्तित्व और रिश्तों को नाजुक बना देता है।*
*कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में मंगल हो तो मंगलदोष का योग बनता है।*
*नीचस्थ मंगल के अशुभ योग से बचने के लिए तांबा पहनना शुभ सकता है।*
*इस योग में गुड़ और काली मिर्च खाने से विशेष लाभ होगा।*
 मंगल का चौथा अशुभ योग 
*मंगल का एक और अशुभ योग है जो बहुत खतरनाक है. इसे शनि मंगल (अग्नि योग) कहा जाता है. इसके कारण इंसान की जिंदगी में बड़ी और जानलेवा घटनाओं का योग बनता है।*
*ज्योतिष में शनि को हवा और मंगल को आग माना जाता है।*
*जिनकी कुंडली में शनि मंगल (अग्नि योग) होता है उन्हें हथियार, हवाई हादसों और बड़ी दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए।*
*मंगल के शुभ योग में भाग्य चमक उठता है. लक्ष्मी योग मंगल का पहला शुभ योग है।*
*चंद्रमा और मंगल के संयोग से लक्ष्मी योग बनता है।*
*यह योग इंसान को धनवान बनाता है।*
*जिनकी कुंडली में लक्ष्मी योग है, उन्हें नियमित दान करना चाहिए।*
मंगल का दूसरा शुभ योग
*मंगल से बनने वाले पंच-महापुरुष योग को रूचक योग कहते हैं।*
*जब मंगल मजबूत स्थिति के साथ मेष, वृश्चिक या मकर राशि में हो तो रूचक योग बनता है।*
*यह योग इंसान को राजा, भू-स्वामी, सेनाध्यक्ष और प्रशासक जैसे बड़े पद दिलाता है.इस योग वाले व्यक्ति को कमजोर और गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए.

Dheerendra Singh

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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