पलपल संवाददाता, जबलपुर. सनातन धर्म के अनुसार अपने जीवन के तरीकों को खड़ा करो, हम किसी को जीतेगें नहीं, बदलेगें. संतो के उपदेशों को ग्रहण करते हुए हम सब धर्म के मार्ग पर चले, तभी यह संभव है. श्यामदेवाचार्य जैसी हस्तियां जाने के बाद भी पार्थिक रुप में हमारे साथ रहती है. उक्ताशय के उद्गार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत ने जबलपुर ब्रम्हलीन जगतगुरु श्याम देवाचार्य की द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए. उन्होने नृसिंह मंदिर में श्यामदेवाचार्य महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि सनातन धर्म ही हिन्दू राष्ट्र, हिन्दू संस्कृति है. आज भारत विश्वगुरु बनने जा रहा है. आज हम ही क्या पूरी दुनिया कह रही है भारत होने वाली महाशक्ति है. हमारी शक्ति दुर्बलों की रक्षा करेगी. भारत वर्ष पहले भी आज भी है और बाद में ही रहेगा. हर राष्ट्र बनने क ा प्रयोजन पूरा करने के बाद देश अंर्तध्यान हो जाते है, लेकिन भारत का प्रयोजन खत्म नहीं हुआ है. उन्होने कहा कि भौतिक बल का गठन कर मनुष्य सुखी नहीं रह सकता है. आज भी ऐसी विभूतियां है जो इस धर्म का पालन करते है. संत देवता का अवतार है. भारत वर्ष का हर आदमी पूरा जीवन उस प्रकार बनाने के लिए प्रयास जरुर करता है. कितना भी गरीब हो वह कहता है कि वहां जाना है. वहां कुछ काम नहीं आएगा, इसलिए भजन करो, हम सब में यह भाव है. किसी अन्य देश, धर्म में नहीं, संत सेवा नहीं करेगें तो हम मनुष्यता से वंचित हो जाएगें. मनुष्य सबसे दुर्बल है लेकिन भगवान ने उसे बुद्धि दी है, इसलिए वह सब प्राणियों का राजा है.
मनुष्य सोचता है कि सब मिलकर रहें, मनुष्य ने समूह बनाए, जिन्हे कबीला कहा गया. कबीले लड़ते थे, रक्तपात होता था इसलिए राजा बना दिया. संघ प्रमुख श्री भागवत ने यह भी कहा कि वैभव के शिखर पर जाकर भी संतोष नहीं मिला तो अंदर देखना शुरु किया, अंतत: वो मिला जिसे सत्य व अनंत आनंद कहते है. यह ज्ञान मिला कि सब उसकी चराचर रचना है, इसलिए कोई अलग नहीं है. संतो ने सोचा कि यह जो हमें मिला है सबको मिलना चाहिए. हर चार साल के बाद भारत में ऐसी कई परम्पराएं आती है और वे कहते है कि ये सभी परम्पराए भारत में संरक्षित है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-WCREU: जबलपुर में मिनिस्ट्रियल-एकाउंट स्टाफ का जोनल कांफ्रेंस हुआ आयोजित, समस्याओं पर हुआ मंथन
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