अप्रैल के महीने में शेयर बाजार में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे

अप्रैल के महीने में शेयर बाजार में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे

प्रेषित समय :22:20:21 PM / Wed, Apr 19th, 2023

अप्रैल महीने की 22 तारीख को देव गुरु बृहस्पति मेष राशि में अस्त अवस्था में जाकर विराजमान होंगे. 23 अप्रैल को मेष राशि में बुध महाराज अस्त हो जाएंगे तथा 27 अप्रैल को देव गुरु बृहस्पति का मेष राशि में उदित होंगे. मेष राशि में बृहस्पति के साथ सूर्य, बुध और राहु भी विराजमान रहेंगे.

ऐसे में अप्रैल के महीने में शेयर बाजार में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे. शेयर बाजार भविष्यवाणी 2023 के अनुसार, बैंकिंग सेक्टर, तम्बाकू उद्योग, फ़ूड इंडस्ट्रीज़ आदि में तेज़ी दिखाई देगी लेकिन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी एवं सूचना प्रौद्योगिकी आदि में मंदी आने के आसार नज़र आ रहे हैं.
इसके अलावा कॉस्मेटिक्स, फ़ार्मा सेक्टर और पब्लिक सेक्टर में कुछ तेज़ी आने के योग बनेंगे और लोगों को इसके सकारात्मक प्रभावों का अनुभव होगा.
इस दौरान शेयर मार्केट का सूचकांक यानी कि इंडेक्स बढ़ता हुआ नजर आएगा और इसमें लंबे समय तक वृद्धि देखने को मिल सकती है.

बृहस्पति ग्रह सौरमंडल में सबसे विशाल ग्रह होने के साथ-साथ एक लाभकारी ग्रह भी है. यदि कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थान पर होते हैं, तो यह जातक को अपार समृद्धि, ज्ञान व सफलता प्रदान करते हैं और ऐसे व्यक्ति पर बृहस्पति देव की सदैव कृपा बनी रहती है. जबकि कमजोर अवस्था में यह जातक को अत्यधिक परेशानी देते हैं. बृहस्पति अन्य ग्रहों की तरह ही अपने गोचर के दौरान अस्त, वक्री और उदय की अवस्था से गुजरते हैं. इसी क्रम में इस बार देव गुरु बृहस्पति 27 अप्रैल 2023 को 2 बजकर 7 मिनट पर मेष राशि में उदित होंगे. 

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का महत्व
ज्योतिष में बृहस्पति को सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है. यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं. कुंडली में मजबूत बृहस्पति सौभाग्य, अपार धन, विलासिता, प्रसिद्धि, शक्ति और स्थिरता आदि लाता है. यह व्यक्ति को करियर, पेशे और जीवन में प्रगति करने में भी मदद करता है. जबकि ज्योतिष में कमजोर बृहस्पति या अशुभ बृहस्पति दरिद्रता और दुर्भाग्य ला सकता है और इसके परिणामस्वरूप जातक को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है. ये कर्क राशि में उच्च के तथा मकर में नीच के होते हैं. दशम भाव में बृहस्पति आपको योग शिक्षक, प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता या मंदिर का प्रधान पुजारी भी बना सकता है.

मेष राशि में बृहस्पति का प्रभाव
मेष राशि, राशि चक्र की पहली राशि है और इस राशि के जातक ऊर्जा व उत्साह वाले होते हैं व तेजी से काम करने वाले भी होते हैं. इस राशि में बृहस्पति के प्रभाव से जातक घूमने-फिरने का शौकीन होता है. ऐसे जातक जीवन में नई चीजों का अनुभव करने के लिए उत्सुक रहते हैं और स्वभाव से साहसी होते हैं इसलिए एडवेंचर इन्हें बहुत पसंद होता है. बृहस्पति सौभाग्य और यात्रा के भी प्रतीक हैं. मेष राशि में बृहस्पति के प्रभाव से जातक अच्छी चीजों के प्रति आकर्षित होते हैं. यह प्रभाव उनके उत्साह और इच्छा शक्ति को और अधिक बढ़ाने में मदद करता है. ये अपने किए पर अधिक पछतावा नहीं करते हैं और इन्हें दुनिया काफी आशावादी लगती है. ये अपने आपको पूरी तरह लक्ष्य के प्रति समर्पित कर देते हैं. ख़ास बात यह है कि ये जातक पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं. 

गुरु का मेष राशि में उदय: वैश्विक स्तर पर प्रभाव
गुरु का मेष राशि में उदय दुनिया भर में स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्रों में कई सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा.
इस दौरान जो लोग लेखक और फिलॉस्फर हैं उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में प्रगति देखने को मिल सकती है.
गुरु के उदय के दौरान भारत में लोगों का झुकाव धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ बढ़ेगा.
इस अवधि में आध्यात्मिक ग्रंथों की खोज में भारत में आने वाले विदेशी टूरिस्ट की संख्या में इजाफा हो सकता है.
सरकार में उच्च पदों पर आसीन मंत्री समाज के हित के बारे में चर्चा करते हुए नज़र आएंगे.
पूजा-पाठ में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें जैसे अगरबत्ती, फूल आदि चीजों के निर्यात में वृद्धि देखने को मिलेगी.
इस दौरान शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों जैसे काउंसलर, शिक्षक, अनुदेशक, प्रोफेसर के लिए शानदार साबित हो सकता है.
शेयर बाजार में उछाल आने की संभावना है और सूचकांक (इंडेक्स) ऊपर की तरफ रह सकता है.
यह अवधि विश्व भर के रिसर्चर्स, सरकार के सलाहकार और साइंटिस्ट के लिए बेहद अनुकूल साबित होगी.
इस अवधि में डिजिटल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में तेजी से वृद्धि देखने को मिलेगी.

गुरु का मेष राशि में उदय: सामान्य उपाय

प्रतिदिन बृहस्पति के बीज मंत्र का 108 बार जप करें.
भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और उन्हें पीली मिठाई का भोग लगाएं.
ज्यादातर पीला रंग के वस्त्र धारण करें और कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के आधार पर पीला नीलम धारण करें.
दान-पुण्य करें और गरीबों की सेवा करें.
हर गुरुवार को पीपल के वृक्ष की पूजा करें.
बृहस्पति यंत्र की स्थापना करें और उसकी पूजा करें.


भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष 

Astrology By Bhoj Sharma

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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