मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के खिलाफ बढ़ते असंतोष की अटकलों के बीच, एक अन्य भाजपा विधायक- पी ब्रोजेन सिंह, जो वांगजिंग तेंथा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं- ने गुरुवार को एक सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र में ब्रोजेन ने मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए ‘व्यक्तिगत कारणों’ का हवाला दिया. इससे पहले 13 अप्रैल को, पूर्व पुलिस अधिकारी और हिरोक विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके चार दिन बाद, लंगथबल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले करम श्याम ने भी मणिपुर पर्यटन निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. दोनों ने अपने-अपने पदों से इस्तीफे के पीछे ‘जिम्मेदारियों की कमी’ का हवाला दिया. ये तीनों उन विधायकों में शामिल हैं, जो कथित तौर पर भाजपा आलाकमान तक अपनी शिकायतें पहुंचाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.
इन घटनाक्रमों ने भाजपा की मणिपुर इकाई को शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने पर विवश किया. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा, जो पार्टी के मणिपुर प्रभारी भी हैं, के बैठक में शामिल होने की उम्मीद है. नाम न छापने की शर्त पर मणिपुर के एक भाजपा विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मणिपुर भाजपा यूनिट में हालात ठीक नहीं हैं…एक लोकतांत्रिक देश में, एक लोकतांत्रिक नेतृत्व की उम्मीद होती है…राजशाही की नहीं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री केवल कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में ‘विकास के पक्षधर’ हैं.
विधायक ने कहा, ‘उनके दामाद के निर्वाचन क्षेत्र (सागोलबंद निर्वाचन क्षेत्र के आरके इमो सिंह) में आप हर दूसरे दिन गतिविधियां देखेंगे…हमारे कार्यकर्ता पूछते हैं कि हमारे निर्वाचन क्षेत्र में कोई विकास क्यों नहीं हो रहा है, लेकिन मेरे पास देने के लिए कोई जवाब नहीं है.’ द इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में राज्य भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा देवी की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, लेकिन उनकी एक सहयोगी ने कहा कि ‘वह शुक्रवार की बैठक के बाद ही आधिकारिक रूप से कुछ भी बोल सकती हैं’.
पार्टी स्तर पर कोई आंतरिक समस्या नहीं है.’ उपरोक्त विधायक ने कहा कि तीन विधायक- जिनमें से थोकचोम राधेश्याम और करम श्याम बीरेन के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री थे – ‘नए पदों’ की मांग नहीं कर रहे थे. नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर भाजपा विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हम एक टीम के रूप में काम करना चाहते हैं…हम उम्मीद करते हैं कि वह [मुख्यमंत्री] टीम के खिलाड़ी की तरह विधायक बने रहेंगे और अन्य विधायकों को साथ लेकर चलेंगे.’ भाजपा एमएलए ने कहा कि उन्होंने [तीन विधायकों ने] दिल्ली में भाजपा नेता संबित पात्रा से मुलाकात की थी और मामले पर चर्चा की थी. मणिपुर में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का यह दूसरा कार्यकाल है. बीरेन का मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल भी बिना विवादों के नहीं रहा था, और उनके कैबिनेट सहयोगियों के साथ कई पार्टी नेताओं ने, सरकार में ‘सर्वेसर्वा’ की भावना रखने के लिए उनकी आलोचना की थी.
साल 2020 में, बीरेन ने अपने उपमुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार सिंह से उनके सभी विभागों को वापस ले लिया था. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान खाद्य सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री के आश्वासन की कथित रूप से आलोचना की थी. इसके बाद तत्कालीन सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी– जिससे जॉयकुमार संबंधित थे– ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. हालांकि अंतिम समय में संकट टल गया. बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने हाल के घटनाक्रमों को तवज्जो नहीं दी. एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि मुद्दे हैं…शिकायतें हैं, लेकिन वे मुख्यमंत्री और उनके विधायकों के बीच हैं. पहले के विपरीत, पार्टी नेतृत्व के भीतर कोई बड़ी दरार नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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