रायपुर. छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता नंदकुमार साय भाजपा को छोडऩे के बाद कांग्रेस के कार्यालय पहुंच चुके हैं। राजनीतिक गलियारे में पिछले तीन दिन से साय की नाराजगी और पार्टी छोडऩे की चर्चा थी, लेकिन रविवार को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को इस्तीफे का पत्र भेज दिया। साय के सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित सभी मंत्री और पार्टी पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं।
प्रदेश पदाधिकारियों को रविवार देर शाम को आनन-फानन में फोन करके सुबह राजीव भवन पहुंचने का निर्देश दिया गया। हालांकि साय के कांग्रेस में शामिल होने की किसी भी वरिष्ठ नेता ने पुष्टि नहीं की है। इस बीच, साय के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टिप्पणी की है। सीएम बघेल ने साय के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा कि आज नंदकुमार साय ने अपने साथ-साथ आदिवासियों के मन की बात भी कह दी। सीएम बघेल ने यह बात आदिवासी विरोधी भाजपा हैशटैग के साथ कही है।
साय के इस्तीफे के बाद कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा देश में आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है, उनका शोषण कर रही है। नंदकुमार साय ने पार्टी के लिए खून पसीना लगाया, उनका इस्तीफा इस बात का धोतक है कि देश के बड़े वर्ग के साथ अन्याय हुआ। इससे पहले विश्व आदिवासी दिवस के ही दिन आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को भी पद से हटाया गया था। नंदकुमार साय सरगुजा की राजनीति में काफी अहम भूमिका में रहे हैं। भाजपा के कद्दावर नेता दीलिप सिंह जूदेव के करीबी रहे नंदकुमार तीन बार विधायक और तीन बार सांसद रहे हैं। एक बार उनको पार्टी ने राज्यसभा भी भेजा था।
सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा असर
नंदकुमार साय के भाजपा छोडऩे का असर सरगुजा की राजनीति पर पड़ेगा। साय सरगुजा से वर्ष 2004 में सांसद रहे हैं। इससे पहले साय 1989 और 1996 में रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। वर्तमान में सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीट में से एक पर भी भाजपा के विधायक नहीं हैं।
भाजपा खेमे में साय के इस्तीफे से खलबली
नंदकुमार साय का इस्तीफा उस समय आया, जब पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में बैठक कर रहे थे। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के साथ अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो शनिवार को भी पार्टी के आला नेताओं की बैठक हुई थी, हालांकि उस बैठक को मन की बात की तैयारी बैठक के रूप में प्रचारित किया गया था।
साय पर चली लाठी के बाद बदली थी सरकार
राज्य गठन के बाद भाजपा ने नंदकुमार साय को नेता प्रतिपक्ष बनाया था। उस समय नंदकुमार साय ने पार्टी नेताओं के साथ राजधानी में प्रदर्शन किया था। उस प्रदर्शन में नंदकुमार साय पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जिसमें उनका पैर टूट गया। उसके बाद भाजपा ने जोगी सरकार के अत्याचार को मुद्दा बनाया और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी। उसके बाद हर चुनाव में भाजपा जोगी सरकार के अत्याचार को ही प्रमुख मुद्दा बनाती रही है। साय को भाजपा ने 2003 के विधानसभा में अजीत जोगी के खिलाफ मरवाही विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार भी बनाया था।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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