नई दिल्ली. कर्नाटक में चुनावी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे हैं. कांग्रेस नेतृत्व उनको सीएम बनाने के पक्ष में है. जबकि डीके शिवकुमार की अध्यक्ष के रूप में मेहनत और उनके मैनेजमेंट कौशल को देखते हुए उनको डिप्टी सीएम और कई अहम मंत्रालयों का ऑफर दिया जा सकता है. कांग्रेस के सूत्रों ने ये भी कहा कि डीके शिवकुमार से ये भी कहा गया है कि उनके खिलाफ ईडी के मामले हैं. जिनको लेकर बीजेपी केंद्र सरकारा में रहते हुए बखेड़ा खड़ा करेगी, इसलिए सीएम बनाने से मुश्किल हो सकती है. डीके शिवकुमार सोनिया गांधी और राहुल गांधी की हर बात मानने के लिए तैयार हैं, लेकिन वो कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं चाहते हैं.
कांग्रेस ने बीजेपी को सबसे ज्यादा करप्शन के मुद्दे पर घेरा. बीजेपी इससे उबर नहीं पाई. अब कांग्रेस में बैठकों को दौर जारी है मगर इसी बीच पेंच फंसा है सीएम पद को लेकर. डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच कौन मुख्यमंत्री बनेगा. आलाकमान किसी अनहोनी से बचने के लिए बीच का रास्ता तलाश रही है.
आलाकमान को ऑपरेशन लोटस का भी डर है. वो नहीं चाहते कि किसी भी तरह बीजेपी उनके खेमे में सेंध लगाए. कांग्रेस चाहती है कि कम से कम 2024 तक ओबीसी कुरबा समाज के सिद्धा को सीएम बनाया जाए. लोकसभा चुनाव को महज एक साल बचा है. किसी भी सूरत में पार्टी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती.
डीके शिवकुमार के साथ वोकलीग्गा समाज दलित समाज के जी परमेश्वर और लिंगायत समाज के एम बी पाटिल डिप्टी सीएम हों. मतलब कांग्रेस एक सीएम और तीन डिप्टी सीएम के फार्मूला के साथ आगे बढ़ना चाहती है. ताकि सारे समीकरण साध दिए जाएं.
कांग्रेस किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाएगी. आलाकमान का कहना है कि 2024 तक प्रस्ताव मानिए. डीके इसके लिए तैयार हैं, लेकिन वो कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं चाहते. अब डीके शिवकुमार ने पार्टी के सामने बड़ी शर्त रख दी है. वो सीएम पद पर तो तैयार हो गए हैं मगर वो कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं चाहते. यही पेंच सुलझना बाकी है.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया बेंगलुरु में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचे हैं. इसके साथ ही कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे भी अपने पिता मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचे. इससे पहले दिनेश गुंडू राव, रिजवान अरशद, पुत्तरंगा शेट्टी सी और सतीश जरकीहोली सहित कांग्रेस विधायकों ने पार्टी की सीएलपी बैठक से पहले सिद्धारमैया से मुलाकात की. सिद्धारमैया ने अपने समर्थकों के साथ बंद दरवाजे में बैठक भी की.
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