श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में होने वाली जी20 टूरिज्म ग्रुप की मीटिंग से चीन ने दूर रहने का फैसला किया है. अगले हफ्ते यहां टूरिज्म ग्रुप की मीटिंग शेड्यूल है, जिससे तुर्की के भी दूर रहने की संभावना है. तुर्की में आम चुनाव चल रहे हैं, और अभी तक किसी तरह की पुष्टि नहीं की गई है. जम्मू कश्मीर में जी20 की मीटिंग रणनीतिक तौर पर अहम है. पाकिस्तान और उसके एजेंडा के समर्थकों को भारत का यह करारा जवाब होगा.
जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान अपने विदेशी समर्थकों से बयानबाजी करवाता रहा है. कश्मीर को लेकर चीन, तुर्की, कई मौकों पर इंडोनेशिया और सऊदी अरब की तरफ से भी बयानबाजी होती रही है. मीटिंग में शिरकत को लेकर इंडोनेशिया और सऊदी अरब की तरफ से भी कोई आधिकारिक पुष्टि खबर लिखे जाने तक नहीं की गई है. माना जा रहा है कि कई मोर्चों पर पाकिस्तानी एजेंडे के समर्थक ये देश श्रीनगर की मीटिंग में शामिल हो सकते हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने जम्मू कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताया. वांग बिन ने कहा कि चीन किसी भी तरह के विवादित क्षेत्र में जी20 की मीटिंग का विरोधी रहा है. चीन और तुर्की श्रीनगर में मीटिंग में मीटिंग का विरोध किया था. माना जा रहा है कि इन दोनों देशों ने पाकिस्तान के अनुरोध पर विरोध किया. इंडोनेशिया और सऊदी अरब दिल्ली में मौजूद अपने राजनयिकों को मीटिंग में भेज सकता है. वहीं कई अन्य देश भी अपने राजनयिकों को भेज सकता है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कई देश के मीटिंग में अपने राजनयिकों को भेजने के पीछे सुरक्षा एक वजह हो सकती है. श्रीनगर में शु्क्रवार को यूथ जी20 की मीटिंग थी, जहां कई देशों ने शिरकत की. अमेरिका, रूस, कोरिया, जापान, ब्राजील और नाइजीरिया के युवा प्रतिनिधि शामिल हुए. इंडोनेशिया और तुर्की के युवा प्रतिनिधि भी मीटिंग में पहुंचे थे.
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