गांव, कस्बों और छोटे शहरों से हजारों छात्र आईएएस और आईपीएस बनने का सपना लेकर बड़े शहरों में आते हैं. लेकिन शहर का हवा-पानी और चकाचौंध उनके सपने और कठोर परिश्रम के आगे धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है. कई लोग इसमें फंस जाते हैं, तो कोई इससे आगे निकलकर अपने सपनों को पूरा कर लेता है. ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ कुछ ऐसी ही इंस्पायरिंग कहानी को दिखाती है.
कहानी- ‘साल 2006 बैच के आईएएस ऑफिसर गोविंद जयसवाल की लाइफ से इंस्पायर है. बात करें फिल्म की तो अभय शुक्ला (इमरान जाहिद) बचपन में झेली हुई जिल्लत की वजह से आईएएस बनने का सपना देखता है. पापा किसान हैं और मां लोगों के घरों में बर्तन मांजती है. अभय अपने जिले का टॉपर बनता है. एक छोटे से गांव निकलकर शहर में यूपीएससी की तैयारी करने आता है. इस तैयारी के बीच उसे मकान मालिक की लड़की नियति (श्रुति सोढी) से दिल लगा बैठता है. निधि मेडिकल की पढ़ाई कर रही है और उसे लंदन जाना है.
इसके बाद अभय की जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आता है. आरक्षण जैसे मुद्दे को भी उठाया गया है. प्यार में धोखा मिलता है. अभय यूपीएससी की पढ़ाई छोड़ कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का भी विचार करता है. लेकिन अपनी लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से वह आखिरी अटेंप्ट में यूपीएएसी को क्वालीफाई कर लेता है और आईएएस बनता है. इमरान जाहिद और श्रुति सोढी ने बेहतरीन अदाकारी दिखाई है. महेश भट्ट ने बतौर मोटिवेशनल स्पीकर कैमियो किया है. बड़े पर्दे पर महेश भट्ट को एक्टिंग करते देखना सुखद है. अन्य कलाकारों ने भी सधी हुई अदाकारी दिखाई है. फिल्म का डायरेक्शन कमल चंद्रा ने किया और इसकी कहानी दिनेश गौतम ने लिखी है. फिल्म ड्युरेशन 95 मिनट की है. फिल्म में थोड़ी रफ्तार है. इंस्पिरेशन कहानी से ज्यादा लव स्टोरी पर फोकस किया गया है. बीच-बीच में पढ़ाई और यूपीएससी के एग्जाम का जिक्र करके इसमें बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है. फिल्म के फर्स्ट हाफ में एक सीन से दूसरे सीन के बीच जंप करते हुए बार-बार ब्लैक स्क्रीन का गैप दिखना इसका माइनस प्वाइंट है. कुल मिलाकर फिल्म में कोई तड़क भड़क नहीं है. कुछ लाइट मूड के सॉन्ग हैं. यह फिल्म एक मोटिवेशन देती है. इसे आप देख सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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