तीन साल बाद आई अधिकमास में परमा और पद्मिनी एकादशी का व्रत

तीन साल बाद आई अधिकमास में परमा और पद्मिनी एकादशी का व्रत

प्रेषित समय :20:56:12 PM / Fri, Jul 7th, 2023

प्रत्येक 3 वर्ष के बाद अधिक मास रहता है, जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. यूं तो वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं परंतु अधिक मास की 2 एकादशियां जुड़ जाने के कारण प्रति 3 वर्ष में 26 एकादशियां होती हैं.   आइए जानते हैं कि अधिक मास की एकादशियों के क्या नाम हैं, क्या महत्व है और इसका व्रत रखने से क्या होगा?
अधिक मास की एकादशियां:
अधिकमास में 2 एकादशियों के नाम है- पद्मिनी एकादशी और परमा एकादशी. पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती हैं.
दोनों एकादशियों का व्रत कब रखा जाएगा :
 श्रावण मास में पहली कामिनी एकादशी 13 जुलाई को रहेगी, दूसरी कमला यानी पद्मिनी एकादशी 29 जुलाई को रहेगी, तीसरी कमला एकादशी 12 अगस्त को रहेगी. इसके बाद 27 अगस्त को पुत्रदा एकादशी रहेगी.
अधिकमास की एकादशियों का महत्व :
अधिकमास में परमा एकादशी और पद्मिनी एकादशी का व्रत रखे जाने का बहुत महत्व है क्योंकि यह तीन वर्ष बाद ही आती है. परमा को पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहते हैं. पद्मिनी एकादशी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, साथ ही यह पुत्र, कीर्ति और मोक्ष देने वाला है. जबकि परमा एकादशी का व्रत धन-वैभव देती है तथा पापों का नाश कर उत्तम गति भी प्रदान करने वाली होती है.
परमा एकादशी :
12 अगस्त वाली एकादशी को परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है क्योंकि वह पुरुषोत्तम मास की है. यह एकादशी परम दुर्लभ सिद्धियों की दाता है इसीलिए इसे परमा कहते हैं. यह धन, सुख और ऐश्वर्य की दाता है. इस एकादशी में स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौदान करना चाहिए.
पद्मिनी एकादशी :
 पद्मिनी को कमला एकादशी भी कहते हैं. पद्मिनी एकादशी तब ही आती है जबकि व्रत का महीना अधिक हो जाता है. यह अधिमास में ही आती है. इस बार श्रावण मास में अधिकमास के माह भी जुड़ रहे हैं. यह एकादशी करने के लिए दशमी के दिन व्रत का आरंभ करके कांसे के पात्र में जौ-चावल आदि का भोजन करें तथा नमक न खाएं. इसका व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है, जो मनुष्‍यों के लिए भी दुर्लभ  है.  

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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