आप खुद भी जान सकते कि शनि आप पर भारी तो नहीं!

आप खुद भी जान सकते कि शनि आप पर भारी तो नहीं!

प्रेषित समय :22:09:05 PM / Sun, Jul 16th, 2023

शनि ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी का डर सदैव बना रहता है. आपकी कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे आपके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है. शनि को कष्टप्रदाता के रूप में अधिक जाना जाता है. किसी ज्योतिषाचार्य से अपना अन्य प्रश्न पूछने के पहले व्यक्ति यह अवश्य पूछता है कि शनि उस पर भारी तो नहीं. भारतीय ज्योतिष में शनि को नैसर्गिक अशुभ ग्रह माना गया है. शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक है. पाश्चात्य ज्योतिष भी है. अगर व्यक्ति धार्मिक हो, उसके कर्म अच्छे हों तो शनि से उसे अनिष्ट फल कभी नहीं मिलेगा. शनि से अधर्मियों व अनाचारियों को ही दंड स्वरूप कष्ट मिलते हैं.

 मत्स्य पुराण के अनुसार शनि की कांति इंद्रनीलमणि जैसी है. कौआ उसका वाहन है. उसके हाथों में धनुष बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा हैं. शनि का विकराल रूप भयानक है. वह पापियों के संहार के लिए उद्यत रहता है. शास्त्रों में वर्णन है कि शनि वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, वायु प्रधान, नपुंसक, तमोगुणी और पुरुष प्रधान ग्रह है. इसका वाहन गिद्ध है. शनिवार इसका दिन है. स्वाद कसैला तथा प्रिय वस्तु लोहा है. शनि राजदूत, सेवक, पैर के दर्द तथा कानून और शिल्प, दर्शन, तंत्र, मंत्र और यंत्र विद्याओं का कारक है. ऊसर भूमि इसका वासस्थान है. इसका रंग काला है. यह जातक के स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है. यह मकर और कुंभ राशियों का स्वामी तथा मृत्यु का देवता है. यह ब्रह्म ज्ञान का भी कारक है, इसीलिए शनि प्रधान लोग संन्यास ग्रहण कर लेते हैं.शनि सूर्य का पुत्र है. इसकी माता छाया एवं मित्र राहु और बुध हैं. शनि के दोष को राहु और बुध दूर करते हैं.शनि दंडाधिकारी भी है. यही कारण है कि यह साढ़े साती के विभिन्न चरणों में जातक को कर्मानुकूल फल देकरउसकी उन्नति व समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है. कृषक, मजदूर एवं न्याय विभाग पर भी शनि का अधिकार होता है. जब गोचर में शनि बली होता है तो 
कमजोर शनि के जीवन पर प्रभाव
कमजोर शनि सबसे पहले जातक के जीवन में आलस्य की मात्रा को बहुत बढ़ा देता है.जातक अनुशासनहीन और अव्यवस्थित जीवन जीता है. गृहणिया बर्तन धोना या कपडे धोने का काम सुबह से शाम पर टालती है. बच्चे होमवर्क अंतिम समय में करते है या परीक्षा के 1 दिन पहले किताब खोलकर उसका श्रीगणेश करते है. पुरुष ज्यादातर ऑफिस लेट जाते है, कामचोरी करते है,बाल-नाख़ून-दाढ़ी साफ़ करने का समय नही निकाल पाते. कमजोर शनि जातक की एकाग्रता को बहुत कम कर देता है साथ ही जातक को लक्ष्यविहीन बना देता है अर्थात जातक जीवन के मकसद को ही भूल जाता है. कमजोर शनि से घर की मशीनरी एक के बाद एक अचानक ख़राब होने लगती है जैसे घडी बंद पड़ जाना, Iron ख़राब हो जाना,पंखा ख़राब होना आदि. कमजोर शनि जातक को बहुत जल्दी कर्ज में डुबा देता है और ये कर्ज जल्दी नही चुकता. जातक को काफी संघर्ष और लम्बे अंतराल के बाद ये कर्ज से छुटकारा मिलता है. कमजोर शनि जातक को अच्छी आदतो से दूर करके बुरी आदत की ओर ले जाता है जैसे शराब/गुटखा/बीडी का सेवन, जुआ खेलना, सट्टा लगाना, अश्लील किताबे पढना आदि.
शनि का बारह भाव में फलादेश
. उसे निंदित कार्यो तथा साधनों से प्रचुर संपत्ति प्राप्त होती हैं . वह श्रेष्ठ व बिना स्वीकारी जाने वाली विधाओ का अध्यन करता हैं. भृगु सूत्र के अनुसार दूसरे भाव में शनि से जातक निर्धन होता हैं. आंखो की बीमारियाँ उसे कष्ट देती रहेगी. ऐसे जातक के दो विवाहा भी हो सकते हैं. जातक किसी धार्मिक स्थान का कर्ता–धर्ता होता हैं . और स्त्री वर्ग को मूर्ख बनाकर धन इकट्टा कर्ता हैं. जातक को राजकीयअनुकंपा भी मिलती हैं. दूसरे भाव में शनि जातक को परिवार से दूर कर्ता हैं. ऐसा जातक सुख साधन – समृद्धि की खोज में दूर देश – विदेश की यात्रा कर्ता हैं.उसका भाग्योदय पैतृक निवास से दूर होता हैं. जातक झूठ बोलने बाला, चंचल, बातूनी तथा दूसरों को मूर्ख बनाने में अच्छा होता हैं. ऐसा जातक पिता के साथ रह कर धन अर्जित कभी भी नहीं कर सकता. यदि शनि दूसरे घर में हो तो जातक का चेहरा अच्छा न होगा. ऐसा जातक को किसी न किसी प्रकार के नशे (पान , सिगरेट , शराब आदि) की आदत होती हैं.
. चित में हमेशा अशांति ऐसे शनि के प्रभाव हैं. तृतीय भाव का वक्री शनि जातक को गूढ़ विद्याओं का ज्ञाता बनाता है, लेकिन माता के लिए अच्छा नहीं होता है. आपने लोगो से संघर्षपूर्ण स्थितियो और कठोर परिश्रम के बाद भी मिलने वाली असफलता जातक को परेशान करती हैं. सौभाग्य के उदय में विभिन्न बधाये प्रकट होती हैं. अनेक लोग अवलंबित रहते हैं. भाइयो से तनावपूर्ण संबंध रहते हैं और कलेश प्राप्त होता हैं .तीसरे भाव का शनि जातक को माता पिता से मात्र आशीर्वाद के अलावा और कुछ प्राप्त नहीं करवाता. पुरुष राशि में
मेष , व्रष , सिंह , तुला , धनु , व्रश्चिक , मीन और मिथुन वालों को सरकारी सेवाए प्रदान करता है. जातक की रुचि वैज्ञानिकविषयों में होती हैं. जातक को व्यापार के प्रारम्भ में अनेक घोर संकट प्रकट होते है.
जातक का 36वें तथा 56वें वर्ष उत्तम होते है. पश्चिम दिशा प्रगति के अनुकूल होती है. शनि अपनी राशि या अपनी उच्च राशि पर होतो दोषो का परिहार हो जाता है. पैतृक स्थान त्यागने पर भी जातक की दुर्भाग्य से मुक्ति नहीं मिल पाती.
पंचम भाव में
पंचम भाव का वक्री शनि प्रेम संबंध देता है.लेकिन जातक प्रेमी को धोखा देता है. वह पत्नी एवं बच्चे की भी परवाह नहीं करता है. पांचवे भाव में शनि के बारे फलदीपिका में बताया गया है की ऐसा जातक शैतान और दुष्ट बुद्धि वाला होता है . तथा ज्ञान , सुत , धन तथा हर्ष इन चारों से रहित होता है अर्थात इनके सुख में कमी करता है. ऐसा जातक भ्रमण करता है अथवा उसकी बुद्धि भ्रमित रहती है. अगर पंचम भाव में शनि हो तो वह आदमी ईश्वर में विश्वास नहींकरता और मित्रों से द्रोह करता है तथा पेट पीड़ा से परेशान , घूमनेवाला , आलसी और चतुर होता है .जिनके पंचम भाव में शनि होता है , उसकादिमाग फिजूल विचारों से ग्रस्त रहता है. व्यर्थ की बातों में वह अधिक दिमाग खपाता है एवं मंदमती होताहै. आय से ज्यादा खर्च अधिक करता है. 
सप्तम भाव में शनि सप्तम भाव का शनि होने पर व्यक्ति रोग, गरीब, कामी, खराब वेशभूषा वाला, पापी, नीच होता है. सप्तम भाव का वक्री शनि पति या पत्नी वियोग देता है.यदि शनि 
नवम भाव में शनि ऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में नवम भाव में शनि हो वह अधार्मिक, गरीब, पुत्रहीन, दुखी होता है. नवमस्थ वक्री शनि जातक की पूर्वजों से प्राप्त धन में वृद्धि करता है. उसे धर्म परायण एवं आर्थिक संकट आने पर धैर्यवान बनाता है.
दशम भाव में शनि दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर आसीन होता है.दशमस्थ शनि वक्री हो तो जातक वकील, न्यायाधीश,बैरिस्टर, मुखिया, मंत्री या दंडाधिकारी होता है..
शनि ग्रह की शांति हेतु उपाय
नीलाम्बर: शूलधर: किरीटी गृद्ध्स्थितस्त्रासकरो धनुश्मान चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रशान्त: सदाअस्तु मह्यं वरदोअल्पगामी
शनि गायत्री ॐ कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात
ॐ प्राँ प्रीँ प्रौँ स: भूर्भुव: स्व: औम शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तु न: ॐ स्व: भुव: भू: प्रौं प्रीं प्रां ॐ शनिश्चराय नम:
सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है लेकिन हिसा कुछ नहीं है बेसक शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है लेकिन शनि देव इन्शान के कर्मो के अनुसार ही फल देते है शनि बुर कर्मो का दंड भी देते है.
एक समय में केवल एक ही उपाय करें-उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिनो तक करें - यदि किसी करणवश नागा - गेप हो तो फिर से प्रारम्भ करें
यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार ( भाई,- पिता- पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है
1 ऐसे जातक को मांस ,- मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे
2 हनुमान जी की पूजा करे - बंरंग बाण का पाठ करे
3 पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये
4 सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये
5 शनि के मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करें. मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः. या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का 23000 जाप करे
6 उडद के आटे के 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा
7 बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा
8 श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,
9 शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं
काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि.
10 शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ.
11 गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए
12 शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए खाने के लिए डाले
13 ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है.
14 बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ. या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है,
15 अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं
माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.,पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी
गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा ख़ुशी ओए सम्रद्धि बनी रहेगी
16 शनि देव का प्रचलित मंत - नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्. छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
17 ॐशत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये.शंयोभिरत्रवन्तु नः. ॐ शं शनैश्चराय नमः.
18 ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌., छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌.
19 शनि देव की शांति हेतु उपाय - मंत्र जाप : ॐ प्राम प्रीम प्रौम सः शनये नमः- जप संख्या 92000
20 टोटका - प्रत्येक शनिवार को स्नान करने से पहले पूरे शरीर में सरसों का तेल लगाकर ही स्नान किया करें एवं संभव हो तो शनिवार को ही संध्या में हनुमान जी का पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर लिया करें .
21 शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ.
22 शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए.
23 शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए.
24 भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए.
25 भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए.
26 किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए.
27 घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए.
28 शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते.

Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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