रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है. हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं. पौराणिक वेदों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के तौर पर किया गया है. सूर्य की पूजा से जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि लोग उगते हुए सूर्य को देखना शुभ मानते हैं और सूर्य को अर्घ्य देना शुभ मानते हैं. एक अन्य मान्यता यह भी है कि रविवार के दिन सूर्य देव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि भगवान राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य देव की आराधना की थी. भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी. सूर्य को शक्ति का स्त्रोत माना गया है.
सूर्य देव की पूजा विधि
हिंदू धर्म में सूर्य की उपासना अति शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है. रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के लिए करने के लिए प्रातः जल्दी सोकर उठें. जब सूर्य उदय हो तब सूर्य देव को प्रणाम करें और 'ॐ सूर्याय नमः' या 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' कहकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें.
सूर्य को अर्पित किए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें. सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें. सूर्य को जल देने के बाद मन ही मन प्रणाम करें और सद्बुद्धि देने की कामना करें.
श्री सूर्यदेव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान.
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा.
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी. तुम चार भुजाधारी..
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे. तुम हो देव महान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते. सब तब दर्शन पाते..
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा. करे सब तब गुणगान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते. गोधन तब घर आते..
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में. हो तव महिमा गान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते. आदित्य हृदय जपते..
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी. दे नव जीवनदान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार. महिमा तब अपरम्पार..
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते. बल, बुद्धि और ज्ञान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं. सब जीवों के प्राण तुम्हीं..
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने. तुम ही सर्वशक्तिमान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल. तुम भुवनों के प्रतिपाल..
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी. शुभकारी अंशुमान..
..ॐ जय सूर्य भगवान.....
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान.
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा.स्वरूपा..
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान..
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